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दिल्ली के दिल से : ‘ब्रिटिश रेजिडेंट का ग्रीष्मकालीन विश्राम स्थल हुआ करता था शालीमार बाग

इतिहासकारों के अनुसार, शालीमार बाग को वह स्थान भी कहा जाता है, जहां 1658 में मुगल बादशाह औरंगजेब का राज्याभिषेक हुआ था।  ये क्षेत्र कभी सम्राट शाहजहां के शासनकाल के दौरान मौज-मस्ती वाला उद्यान हुआ करता था।

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Mukesh Pandit
Sheesh Mahal delhi
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दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।मुगल काल में निर्मित दिल्ली का शालीमार बाग एक दीवार से घिरा था और इसमें शीश महल, हम्माम, नहरें और मंडप सहित कई खूबसूरत संरचनाएं थीं तथा औपनिवेशिक दौर में यह स्थल दिल्ली में ‘ब्रिटिश रेजिडेंट’का ‘ग्रीष्मकालीन विश्राम स्थल’ हुआ करता था। इतिहासकारों के अनुसार, शालीमार बाग को वह स्थान भी कहा जाता है, जहां 1658 में मुगल बादशाह औरंगजेब का राज्याभिषेक हुआ था।  ये क्षेत्र कभी सम्राट शाहजहां के शासनकाल के दौरान मौज-मस्ती वाला उद्यान हुआ करता था। 

कभी एक दीवार से घिरा हुआ था उद्यान 

 दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के सहयोग से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण विशेषज्ञों की एक टीम ने बची हुई पुरानी विरासत इमारतों और आस-पास के क्षेत्रों का जीर्णोद्धार किया है। शालीमार बाग में नव-संरक्षित शीश महल और बारादरी का हाल ही में उद्घाटन किया, साथ ही इसके परिसर में दो अन्य पुरानी संरचनाओं का भी उद्घाटन किया गया। एएसआई ने उद्घाटन के बाद ‘एक्स’पर एक पोस्ट में इस स्थल से जुड़े कुछ ऐतिहासिक पहलुओं को साझा किया। पोस्ट के मुताबिक, 17वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में निर्मित यह उद्यान कभी एक दीवार से घिरा हुआ था और इसमें शीश महल (बिना कांच वाला), एक हम्माम, पानी की नहरें, टंकियां और मंडप सहित कई खूबसूरत संरचनाएं थीं। 

स्मारक स्थल अब जनता के लिए खुला

एएसआई के अनुसार, “ब्रिटिश काल के दौरान यह दिल्ली में रहने वाले रेजिडेंट के लिए ग्रीष्मकालीन विश्राम स्थल हुआ करता था। औपनिवेशिक काल के दौरान एक ब्रिटिश रेजिडेंट ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रतिनिधि होता था।” संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एएसआई ने बताया कि संरक्षण परियोजना के बाद पश्चिमी दिल्ली में स्थित यह स्मारक स्थल अब जनता के लिए खुल गया है। इतिहासकारों के अनुसार, शालीमार बाग को वह स्थान भी कहा जाता है, जहां 1658 में मुगल बादशाह औरंगजेब का राज्याभिषेक हुआ था। 

फव्वारे का पुनरुद्धार है

एएसआई की तकनीकी देखरेख में विरासत स्थल के जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी प्राधिकरण को सौंपी गई थी। डीडीए ने बताया कि जीर्णोद्धार  ‘विकास भी, विरासत भी’ के दृष्टिकोण के अनुरूप हुआ है। एएसआई ने बताया, “संरक्षण का मुख्य आकर्षण एक फव्वारे का पुनरुद्धार है, जो वर्षों से बंद पड़ा था। यह अब एक जीवंत केंद्र बिंदु के रूप में उभरा है। इस अवसर को चिह्नित करने के लिए, गणमान्य व्यक्तियों ने स्मारक के परिसर में पौधे भी लगाए, जो विरासत और पर्यावरण, दोनों के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।” 

 शालीमार बाग कई इतिहास के चरणों का गवाह रहा है

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डीडीए ने एक बयान में बताया कि शालीमार बाग का जीर्णोद्धार दक्षिण दिल्ली में महरौली पुरातत्व पार्क और अनंगपाल तोमर वन (जिसे पहले संजय वन के नाम से जाना जाता था) जैसे विरासत स्थलों के सफल संरक्षण के बाद हुआ है। बयान में बताया गया कि 1653 में निर्मित शालीमार बाग, मुगल काल से लेकर ब्रिटिश शासन तक इतिहास के कई चरणों का गवाह रहा है। बयान के मुताबिक, शालीमार बाग समय के साथ-साथ कई ऐतिहासिक घटनाओं और बदलते शासकों का साक्षी रहा है।

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