/young-bharat-news/media/media_files/2025/04/01/9y9dR9bcGKJO18SGt2dN.jpg)
courtordar Photograph: (ians)
दिल्ली में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है, जहां एक कंपनी ने मृत व्यक्ति के फर्जी सिग्नेचर से उसके शेयर ट्रांसफर कर दिए। इस दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस को एक वित्तीय कंपनी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। आरोप है कि कंपनी ने एक ऐसे व्यक्ति के हस्ताक्षर करके उसके शेयर हस्तांतरित किए, जो अब जीवित नहीं है। न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि ने यह आदेश जेनेसिस फाइनेंस कंपनी लिमिटेड के एक शेयरधारक, तृप्त सिंह की शिकायत पर दिया।
मृत व्यक्ति के शेयरों को ट्रांसफर किया
शिकायत में कंपनी, इसके प्रमोटर और प्रबंध निदेशक नरेश गर्ग, गोपाल बिष्ट (जीएफसीएल के सीएफओ/निदेशक) और कंपनी के अन्य अधिकारियों पर वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि निदेशकों ने अवैध रूप से मृत व्यक्ति, बनवारी लाल साबू के हस्ताक्षरों का जालसाजी करते हुए उनके शेयरों को हस्तांतरित किया। इसे ‘‘गंभीर आर्थिक अपराध’’ करार दिया गया है और प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।
मौत के एक महीने बाद किसने किए हस्ताक्षर?
अदालत ने जाली शेयर हस्तांतरण फॉर्म की जांच की आवश्यकता पर जोर देते हुए आदेश दिया कि इस फर्जी दस्तावेज़ को एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) के पास भेजा जाए। कोर्ट ने कहा, ‘‘क्योंकि बनवारी लाल साबू का निधन सात अप्रैल, 2016 को हुआ था, यह जरूरी है कि यह जांच की जाए कि तीन मई, 2016 को शेयर हस्तांतरण फॉर्म पर किसने हस्ताक्षर किए थे।’’ कोर्ट के आदेश में यह भी कहा गया, ‘‘चूंकि साबू के हस्ताक्षर जाली थे, इसलिए विशेषज्ञ की राय प्राप्त करने और प्राथमिकी दर्ज करना आवश्यक है।’’