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Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें केंद्र और निर्वाचन आयोग को देश के आम चुनाव ईवीएम के बजाय मतपत्रों के माध्यम से कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
ईवीएम सरल, सुरक्षित और उपयोगकर्ता के अनुकूल
हाई कोर्ट ने कहा कि पिछले वर्ष सुप्रीम ने माना था कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) सरल, सुरक्षित और उपयोगकर्ता के अनुकूल हैं तथा मतदाता, उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधियों के अलावा भारत निर्वाचन आयोग के अधिकारी ईवीएम प्रणाली की बारीकियों से अवगत हैं। उपेन्द्र नाथ दलाई नामक व्यक्ति ने देश में आम चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल के खिलाफ शिकायत की। पीठ ने कहा कि ये मुद्दे पहले भी कई मौकों पर उच्चतम न्यायालय सहित विभिन्न अदालतों में उठाए जा चुके हैं। शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि वीवीपीएटी प्रणाली को शामिल करने से मत सत्यापन का सिद्धांत मजबूत होता है, जिससे चुनावी प्रक्रिया की समग्र जवाबदेही बढ़ जाती है।
स्नातकोत्तर, स्नातक चिकित्सा शिक्षा क्षमता के विस्तार को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मौजूदा केंद्रीय और राज्य सरकार के चिकित्सा महाविद्यालयों को सुदृढ़ और उन्नत करने के लिए 5,000 स्नातकोत्तर सीट बढ़ाने की योजना के तीसरे चरण को बुधवार को मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मंत्रिमंडल ने मौजूदा सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों को उन्नत करने के वास्ते 5,023 एमबीबीएस सीट बढ़ाने के लिए केंद्रीय योजना के विस्तार को भी मंजूरी दी गई।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस पहल से स्नातक चिकित्सा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, अतिरिक्त स्नातकोत्तर सीट सृजित करके विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता बढ़ेगी और सरकारी चिकित्सा संस्थानों में नयी विशेषज्ञताएं शुरू करने में मदद मिलेगी। : Delhi High Court News | delhi highcourt | Delhi high court