सुप्रीम कोर्ट Delhi- NCR में
प्रदूषित वातावरण को लेकर सख्त है। प्रदूषण के चलते जस्टिस अभय एस.ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने दिल्ली- एनसीआर में पूरे एक साल के लिए पाबंदी लगा दी। इस अवधि के दौरान दिल्ली- एनसीआर में पटाखे छोड़ना ही नहीं, पटाखे रखने और बेचने
पर भी पाबंदी लागू रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि है air pollution
इतना ज्यादा है कि हर साल तीन- चार महीने की पाबंदी से काम नहीं चलने वाला। प्रदूषण पर काबू करने के लिए कड़े फैसले लेना जरूरी है। यह मामला सीधे सेहत से जुड़ा है, इसमें कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने कहा हर कोई एयर प्यूरीफायर नहीं खरीद सकता
Supreme Court ने कहा है कि दिल्ली- एनसीआर की
हवा खराब है। यहां बिना एयर प्यूरीफायर के लिए सांस लेना मुश्किल है, लेकिन हर कोई तो एयर प्यूरिफायर नहीं खरीद सकता। बता दें कि पटाखा बनाने वाली कंपनियों ने हजारों लोगों की रोजी रोटी का हवाला देकर दिल्ली- एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध न लगाने की बात कही थी, लेकिन कोर्ट इन कंपनियों की दलील को दरकिनार करते हुए कहा कि दिल्ली- एनसीआर के जो हालात हैं उनके चलते ग्रीन पटाखों की अनुमति भी नहीं दी जा सकती।
29 मार्च को ग्रेप हटाया, फिर लागू करना पड़ा
सर्दी बढ़ने के साथ दिल्ली- एनसीआर की हवा ज्यादा
प्रदूषित हो जाती है। यूं तो इसके लिए किसानों की पराली जलाने जैसे कारक भी माने जाते हैं लेकिन इस बार मार्च माह भी दिल्ली-एनसीआर की हवा प्रदूषित रही। वायु गुणवत्ता नियामक आयोग ने हवा की स्थिति में थोड़ा सुधार देखते हुए 29 मार्च को ग्रेप की पाबंदिया हटाने का ऐलान किया था लेकिन चार दिन बाद ही 2 अप्रैल को ग्रेप- एक की पाबंदियां फिर लागू करनी पड़ीं। बता दें कि एक्यूआई 200 पार करने के बाद ग्रेप-1 की पाबंदियां लागू की जाती हैं। यह पाबंदियां लागू होने के बाद लकड़ी और कोयला जलाने के साथ विध्वंसक गतिविधियां भी प्रतिबंधित रहती हैं।