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"क्या अब पूर्वी दिल्ली में नल खोलते ही मिलेगा साफ पानी? जानें - कोर्ट की फटकार का असर!" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार के बाद, पूर्वी दिल्ली में गंदे पानी की समस्या से जूझ रहे लाखों निवासियों के लिए एक नई उम्मीद जगी है। दिल्ली जल बोर्ड ने आखिरकार पाइपलाइन बदलने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन क्या यह सिर्फ एक अस्थायी समाधान है या स्थायी राहत का मार्ग प्रशस्त करेगा? इस खबर में जानें पूरा सच।
पूर्वी दिल्ली के निवासी लंबे समय से गंदे और दूषित पानी की समस्या से त्रस्त हैं। नल से आने वाला पानी इतना मटमैला और बदबूदार होता है कि उसे इस्तेमाल करना तो दूर, देखना भी मुश्किल हो जाता है। यह सिर्फ असुविधा का मामला नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है।
आए दिन जलजनित बीमारियों के मामले सामने आते रहते हैं, जिससे बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। कई बार लोगों ने शिकायतें कीं, प्रदर्शन किए, लेकिन स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ। यह समस्या सिर्फ एक घर की नहीं, बल्कि हजारों घरों की है, जहां हर सुबह लोग यह सोचकर उठते हैं कि आज उन्हें पीने के लिए साफ पानी मिलेगा या नहीं।
क्या कोर्ट की फटकार ही एकमात्र रास्ता था?
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस गंभीर मामले का संज्ञान लेते हुए दिल्ली जल बोर्ड (DJB) को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने साफ कहा कि साफ पानी उपलब्ध कराना नागरिकों का मौलिक अधिकार है और इसे सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। कोर्ट की इस सख्ती के बाद ही DJB हरकत में आया और आनन-फानन में पूर्वी दिल्ली में पुरानी और जर्जर पाइपलाइनों को बदलने का काम शुरू करने की घोषणा की। यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या बिना न्यायिक हस्तक्षेप के यह काम कभी शुरू होता? क्या लोगों को स्वच्छ पानी के लिए इतनी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती?
गंदे पानी का भयानक चक्र: बीमारी और बेबसी
गंदे पानी की समस्या केवल प्यास बुझाने तक सीमित नहीं है, यह एक दुष्चक्र है जो लोगों के जीवन को कई तरह से प्रभावित करता है:
स्वास्थ्य संकट: दूषित पानी से टाइफाइड, पीलिया, दस्त और हैजा जैसी बीमारियां फैलती हैं। अस्पतालों में जलजनित रोगों के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
आर्थिक बोझ: बीमारियों के इलाज पर खर्च होने वाला पैसा परिवारों के बजट पर भारी पड़ता है। कई बार तो लोग काम पर भी नहीं जा पाते, जिससे उनकी आय प्रभावित होती है।
जीवन की गुणवत्ता: साफ पानी के अभाव में दैनिक जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। कपड़े धोने, नहाने और खाना बनाने में भी समस्या आती है।
मानसिक तनाव: लगातार दूषित पानी का सामना करना मानसिक तनाव का कारण भी बनता है। लोग हताश और बेबस महसूस करते हैं।
पाइपलाइन बदलने का काम: उम्मीद या सिर्फ खानापूर्ति?
DJB ने पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में पाइपलाइन बदलने का काम शुरू कर दिया है। अधिकारियों का दावा है कि ये नई पाइपलाइनें अत्याधुनिक सामग्री से बनी हैं और लीक प्रूफ होंगी, जिससे पानी में गंदगी मिलने की संभावना कम होगी। इस परियोजना में पानी के लीकेज को रोकने और वितरण प्रणाली को बेहतर बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है।
लेकिन क्या यह काम उतनी तेजी से हो रहा है जितनी जरूरत है? क्या यह सिर्फ ऊपरी सतह की मरम्मत है या जड़ से समस्या को खत्म करने का प्रयास? स्थानीय निवासियों का कहना है कि काम की गति धीमी है और अभी भी कई इलाकों में गंदे पानी की समस्या बनी हुई है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि केवल पाइपलाइन बदलने से समस्या हल नहीं होगी, जब तक कि पानी के स्रोत और वितरण प्रणाली के अन्य पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया जाता।
आगे की राह: क्या स्थायी समाधान संभव है?
केवल पाइपलाइन बदलने से समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सकता। इसके लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है:
पुराने नेटवर्क का आधुनिकीकरण: सिर्फ पूर्वी दिल्ली ही नहीं, बल्कि दिल्ली के कई अन्य हिस्सों में भी पुरानी और जर्जर पाइपलाइनें हैं जिन्हें बदलने की आवश्यकता है।
पानी के स्रोत की निगरानी: जिन स्रोतों से पानी आता है, उनकी नियमित रूप से जांच होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वहां से साफ पानी आ रहा है।
सीवरेज प्रणाली में सुधार: कई बार सीवरेज लाइनों के लीकेज से पानी दूषित हो जाता है। सीवरेज प्रणाली को भी दुरुस्त करना आवश्यक है।
शिकायत निवारण प्रणाली: एक प्रभावी और त्वरित शिकायत निवारण प्रणाली होनी चाहिए जहां लोग अपनी समस्याओं को आसानी से दर्ज करा सकें और उन पर तुरंत कार्रवाई हो।
जन जागरूकता: लोगों को भी पानी के उचित उपयोग और उसके भंडारण के बारे में जागरूक करना महत्वपूर्ण है।
पूर्वी दिल्ली के निवासी अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि एक दिन उनके घरों में साफ और स्वच्छ पानी आएगा। DJB की इस पहल से एक नई शुरुआत तो हुई है, लेकिन इसे सिर्फ एक शुरुआत ही माना जाना चाहिए। असली चुनौती तो तब आएगी जब यह काम पूरा होगा और लोगों को वास्तव में स्वच्छ पानी मिलना शुरू होगा।
सरकार और जल बोर्ड को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह सिर्फ एक औपचारिकता न रहे, बल्कि लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक ठोस कदम हो। साफ पानी हर नागरिक का अधिकार है और इसे सुनिश्चित करना हर सरकार का परम कर्तव्य। क्या पूर्वी दिल्ली के लिए यह एक नए सवेरे की शुरुआत है, या सिर्फ एक और अधूरा वादा? समय ही बताएगा।
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