नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
गुजरात के जामनगर में हुए एक विमान दुर्घटना में शहीद हुए फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव का शुक्रवार को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सिद्धार्थ की शहादत से उनके परिवार और दोस्तों पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। अंतिम विदाई देने पहुंची सिद्धार्थ मंगेतर उनसे शव से लिपट कर ऐसे रोई कि मौजूद लोगों की आंसू भी नहीं थमें। सिद्धार्थ यादव की मंगेतर, सानिया, श्मशान घाट पर अपने प्रेमी को अंतिम विदाई देने के लिए पहुंची। सिद्धार्थ और सानिया की सगाई महज 10 दिन पहले हुई थी। शादी की तैयारियां जोरों पर थीं। इस दौरान सानिया का विलाप देखकर वहां मौजूद सभी लोग भावुक हो गए। शहीद के अंतिम संस्कार के समय का एक वीडियो वायरल हुआ है। जिसमें सानिया रोते हुए कह रही थी, "बेबी तू आया नहीं मुझे लेने... तूने कहा था तू आएगा।
दो नवंबर को शादी थी सोनिया और सिद्धार्थ
सिद्धार्थ की शादी 2 नवंबर को तय थी और उनकी सगाई सोनिया से 23 मार्च को हुई थी। उनके पिता सुजीत यादव ने कहा कि सिद्धार्थ हमेशा शान से उड़ना चाहता था और देश की सेवा करना चाहता था। वह एक बहुत ही होनहार छात्र था और हमें हमेशा उस पर गर्व रहेगा। सिद्धार्थ की मंगेतर सानिया ने रोते हुए कहा कि बेबी तू आया नहीं मुझे लेने, तूने कहा था तू आएगा। सिद्धार्थ की शहादत और उनकी बहादुरी हमेशा याद की जाएगी और उनका परिवार देश की सेवा में उनके द्वारा किए गए बलिदान को गर्व से याद करेगा।
अंतिम दर्शन के लिए उमड़ हुजूम
सिद्धार्थ यादव के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव रेवाड़ी लाया गया। जहां अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। शहीद के सम्मान में गांववाले हाथों में तिरंगा लेकर नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दे रहे थे। जब सेना का वाहन सिद्धार्थ का पार्थिव शरीर लेकर गुजरा तो लोग फूलों की पंखुड़ियां बरसाते हुए 'सिद्धार्थ यादव अमर रहे' का नारा लगा रहे थे। भारतीय वायुसेना के जवानों ने भी बंदूकों की सलामी दी। सिद्धार्थ के समर्पण और बलिदान को सम्मान दिया गया।
कई लोगों की बचाई जान
सिद्धार्थ की शहादत की कहानी भी अत्यंत वीरतापूर्ण है। वे 28 वर्ष के थे और बुधवार रात गुजरात के जामनगर में जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटना में शहीद हो गए।। यह दुर्घटना वायुसेना स्टेशन के पास हुई, लेकिन सिद्धार्थ की बहादुरी को देखकर यह कहा जा सकता है कि उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना विमान को आबादी वाले इलाके से दूर खाली जगह में गिराया, जिससे कई लोगों की जान बचाई। सिद्धार्थ के इस साहसिक कदम के कारण उनकी वीरता और समर्पण को हमेशा याद किया जाएगा। सिद्धार्थ का परिवार देश की सेवा में वर्षों से लगा हुआ है। उनके परदादा ब्रिटिश शासन के दौरान बंगाल इंजीनियर्स में काम करते थे। उनके दादा अर्धसैनिक बलों में थे और उनके पिता वायुसेना में सेवा दे रहे थे। सिद्धार्थ ने 2016 में NDA से जुड़कर भारतीय सेना में अपनी जगह बनाई थी और तीन साल की कठिन मेहनत के बाद वह वायुसेना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट बने थे।