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5.37 करोड़ का घोटाला...पश्चिम बंगाल में MGNREGA फंड रोकने पर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार

कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में MGNREGA (महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना) के फंड रोकने के मामले में केंद्र सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है।

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Pratiksha Parashar
Culcutta high court
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कोलकाता, वाईबीएन नेटवर्क। 

कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में MGNREGA (महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना) के फंड रोकने के मामले में केंद्र सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है और फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से पूछा कि पश्चिम बंगाल में मनरेगा (MGNREGA) योजना को आखिर कब से फिर से शुरू किया जाएगा। सुनवाई के दौरान अदालत ने सवाल उठाया कि जिन चार जिलों में नोडल अधिकारियों ने फंड के दुरुपयोग की बात कबूली है, वहां फंड रोकने की कार्रवाई की गई, तो बाकी जिलों में क्यों नहीं। 

5.37 करोड़ रुपये की गड़बड़ी

9 मार्च 2022 से पश्चिम बंगाल को MGNREGA का फंड नहीं मिल रहा है। चीफ जस्टिस ने बताया कि हुगली, पूर्वी बर्दवान, मालदा और दार्जिलिंग जिलों में मनरेगा फंड के दुरुपयोग के मामले सामने आए थे। राज्य सरकार ने बताया कि इन चार जिलों से कुल 5.37 करोड़ रुपये का दुरुपयोग हुआ था, जिनमें से 2.37 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है। केंद्र सरकार की ओर से यह बताया गया कि 15 जिलों में खातों की जांच की गई, लेकिन अदालत ने कहा कि उसे केवल चार जिलों की जानकारी दी गई है।

फंड को रोकना कानून के खिलाफ- HC

चीफ जस्टिस टीएस शिवागनानम और जस्टिस चैताली चटर्जी की बेंच ने कहा कि फंड को स्थायी रूप से रोकना कानून के खिलाफ है। अदालत ने केंद्र से यह भी पूछा कि क्या इन जिलों के मामले में जांच पूरी होने के बाद फिर से फंड की बहाली का कोई उपाय किया गया है। न्यायमूर्ति शिवागनानम ने कहा कि धारा 27(2) के तहत, जांच लंबित रहने तक फंड रोका जा सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि समय रहते फंड फिर से बहाल किया जाए। 

"बेरोजगारों को भत्ता क्यों नहीं दिया"

कोर्ट ने राज्य सरकार से भी इसे लेकर सवाल पूछा है। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि जिन लोगों को पिछले तीन सालों से रोजगार नहीं मिल पाया, उन्हें बेरोजगारी भत्ता क्यों नहीं दिया गया। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को 15 मई तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। केंद्र को स्पष्ट करना होगा कि बाकी जिलों में योजना क्यों नहीं शुरू की गई, जबकि राज्य सरकार को यह बताना होगा कि बेरोजगार लोगों को बेरोजगारी भत्ता क्यों नहीं दिया गया।

15 मई को होगी अगली सुनवाई

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कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा कि बाकी जिलों में क्या ऐसी ही गड़बड़ियां पाई गईं, और अगर नहीं, तो वहां योजना को फिर से शुरू क्यों नहीं किया गया। आपको बता दें कि 9 मार्च 2022 से पश्चिम बंगाल में MGNREGA के फंड रोके गए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 15 मई को होगी, और तब तक दोनों पक्षों को अपने हलफनामे प्रस्तुत करने होंगे।

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