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Himachal News : किन्नर कैलाश यात्रा में फंसे 413 श्रद्धालुओं को ITBP ने ऐसे बचाया!

हिमाचल प्रदेश की किन्नर कैलाश यात्रा में फ्लैश फ्लड के बाद 413 श्रद्धालु फंस गए। ITBP की 17वीं बटालियन ने जोखिम भरी "ट्रैवर्स क्रॉसिंग तकनीक" का इस्तेमाल कर इन सभी की जान बचाई। ITBP और NDRF के संयुक्त अभियान से यह मुश्किल रेस्क्यू ऑपरेशन सफल हो पाया।

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Ajit Kumar Pandey
Himachal News : किन्नर कैलाश यात्रा में फंसे 413 श्रद्धालुओं को ITBP ने ऐसे बचाया! | यंग भारत न्यूज

Himachal News : किन्नर कैलाश यात्रा में फंसे 413 श्रद्धालुओं को ITBP ने ऐसे बचाया! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।हिमाचल प्रदेश में किन्नर कैलाश यात्रा पर गए सैकड़ों श्रद्धालुओं पर अचानक आई बाढ़ ने कहर बरपाया। टंगलिंग इलाके में सैलाब के बाद फंसे 413 तीर्थयात्रियों को बचाने के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की 17वीं बटालियन देवदूत बनकर सामने आई। रस्सियों पर आधारित "ट्रैवर्स क्रॉसिंग तकनीक" का इस्तेमाल कर जवान एक-एक कर सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षित बाहर निकालने में सफल रहे। यह ऑपरेशन इतना मुश्किल था कि इसमें ITBP के अलावा NDRF की एक टीम को भी लगाया गया। आइए, जानते हैं इस जोखिम भरे बचाव अभियान की पूरी कहानी।

किन्नौर जिले में स्थित किन्नर कैलाश की यात्रा काफी दुर्गम मानी जाती है। अचानक आई इस आपदा ने तीर्थयात्रियों को सकते में डाल दिया था। टंगलिंग में बाढ़ का पानी इतना तेज था कि किसी भी वाहन या नाव का उपयोग करना असंभव था। ऐसे में ITBP के जवानों ने अपनी विशेष ट्रेनिंग और सूझबूझ का परिचय दिया। जवानों ने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और तुरंत बचाव अभियान शुरू किया।

"ट्रैवर्स क्रॉसिंग तकनीक" यानि जिंदगी बचाने की रस्सी

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आपने फिल्मों में देखा होगा कि खाई पार करने के लिए रस्सियों का पुल बनाया जाता है। ITBP के जवानों ने भी ठीक इसी तरह की "ट्रैवर्स क्रॉसिंग तकनीक" का इस्तेमाल किया।

दो किनारों को जोड़ा: सबसे पहले, जवानों ने नदी के दोनों किनारों पर मजबूत खंभे गाड़कर एक-दूसरे से जोड़ा।

मजबूत रस्सियां: फिर, इन खंभों के सहारे मजबूत रस्सियों को तानकर एक अस्थायी पुल बनाया गया।

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सुरक्षित क्रॉसिंग: एक-एक कर हर श्रद्धालु को सुरक्षा हार्नेस पहनाकर इस रस्सी पर पार कराया गया। यह एक धीमी और थका देने वाली प्रक्रिया थी, लेकिन इसने 413 लोगों की जान बचा ली।

इस तकनीक के इस्तेमाल से सुनिश्चित किया गया कि कोई भी श्रद्धालु तेज बहाव में न बहे। इस दौरान ITBP के जवानों की बहादुरी और धैर्य की जितनी तारीफ की जाए, कम है।

NDRF टीम भी आई मदद के लिए

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यह बचाव अभियान सिर्फ ITBP के जवानों तक सीमित नहीं था। अभियान की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की एक टीम भी मौके पर पहुंची। NDRF की टीम में 14 जवान शामिल थे जिन्होंने ITBP के जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। दोनों टीमों के संयुक्त प्रयासों से ही यह बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन सफल हो पाया।

आपदा के बाद का मंजर

रेस्क्यू के बाद श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। कुछ श्रद्धालुओं को मामूली चोटें आईं, जिनका मौके पर ही इलाज किया गया। इस दौरान फंसे लोगों के चेहरे पर डर और राहत दोनों के भाव देखे जा सकते थे। एक श्रद्धालु ने बताया, "हमें लगा था कि अब हम नहीं बचेंगे, लेकिन ITBP के जवानों ने हमें दूसरा जीवन दिया है।" यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि मुश्किल समय में हमारे सुरक्षा बल किस तरह से हमारी ढाल बनकर खड़े रहते हैं।

इस पूरी टीम का नेतृत्व 1 राजपत्रित अधिकारी, 4 अधीनस्थ अधिकारियों और 29 अन्य रैंक के जवान कर रहे थे। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना इस मुश्किल अभियान को अंजाम दिया। किन्नर कैलाश यात्रा में आई इस आपदा में इन जवानों की भूमिका को हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी बहादुरी और दृढ़ संकल्प ने 413 जिंदगियां बचा लीं। ITBP का रेस्क्यू ऑपरेशन एक मिसाल है कि हमारे सुरक्षा बल हर चुनौती का सामना करने के लिए कितने तैयार हैं।

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