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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। Haridwar News: आज हरकी पैड़ी पर 115वां मुल्तान जोत महोत्सव बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया गया। इस खास अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने हर साल की तरह दूध की होली खेली। श्रद्धालु पिचकारियों से एक-दूसरे पर दूध और गंगाजल डालते नजर आए। इस दौरान हर हर गंगे के जयकारों से हरकी पैड़ी का पूरा क्षेत्र गूंज उठा।
परंपरा का ऐतिहासिक महत्व
अखिल भारतीय मुल्तान संगठन के अध्यक्ष महेंद्र नागपाल ने बताया कि इस परंपरा की शुरुआत साल 1911 में हुई थी। उस समय पाकिस्तान के मुल्तान शहर से रूपचंद नामक एक भक्त ने भाईचारे और शांति की कामना के साथ हर की पैड़ी तक पैदल यात्रा की थी। उन्होंने मां गंगा में जोत अर्पित की, और तब से यह परंपरा अनवरत जारी है।
शोभायात्रा और समापन
मुल्तान जोत महोत्सव का समापन रविवार शाम को एक भव्य शोभायात्रा के साथ होगा। इस शोभायात्रा के दौरान श्रद्धालु मां गंगा को जोत अर्पित करेंगे। इस आयोजन में हर साल पंजाब, दिल्ली, हरियाणा समेत कई राज्यों से श्रद्धालु शामिल होते हैं और भाईचारे व शांति का संदेश फैलाते हैं।
महोत्सव का संदेश
यह महोत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि विभिन्न समुदायों को एकजुट करने का भी माध्यम है। दूध की होली और गंगा में जोत अर्पण की यह अनूठी परंपरा श्रद्धालुओं के बीच उत्साह और एकता का संचार करती है।