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रांची, वाईबीएन डेस्क : नगड़ी जमीन बचाओ संघर्ष समिति के आमंत्रण पर रविवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन नगड़ी पहुंचे। यहां उन्होंने ग्रामीणों और समाज के मार्गदर्शकों के साथ विवादित जमीन का निरीक्षण किया। मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे और उन्होंने अपनी आपत्तियां पूर्व मुख्यमंत्री के सामने रखीं।
मकसद अस्पताल का विरोध नहीं : चंपई सोरेन
निरीक्षण के बाद चंपई सोरेन ने स्पष्ट कहा कि उनका उद्देश्य अस्पताल का विरोध करना नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें, यह उनकी भी इच्छा है। लेकिन इसके लिए गरीब आदिवासी किसानों की उपजाऊ जमीन छीनी जाएगी तो यह न्यायसंगत नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार के पास पहले से ही लैंड बैंक में काफी बंजर और अनुपयोगी जमीन पड़ी है। इसके अलावा स्मार्ट सिटी परियोजना में भी सैकड़ों एकड़ जमीन खाली है, जिसका इस्तेमाल ऐसे बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए किया जा सकता है।
आदिवासियों की जमीन बचाना ही प्राथमिकता
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नगड़ी ही नहीं, पूरे झारखंड में आदिवासी समाज अपनी पुश्तैनी जमीन को बचाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है। किसानों की जमीन छीनने से उनकी रोज़ी-रोटी पर संकट आ जाएगा। उन्होंने सरकार से अपील की कि विकास कार्यों के लिए सबसे पहले बंजर और सरकारी जमीन का उपयोग किया जाए, ताकि किसी भी आदिवासी परिवार का विस्थापन न हो।
ग्रामीणों का समर्थन
ग्रामीणों ने चंपई सोरेन के विचारों का समर्थन किया और कहा कि वे अस्पताल निर्माण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन खेती योग्य जमीन पर किसी भी कीमत पर कब्जा बर्दाश्त नहीं करेंगे। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी उपजाऊ जमीन अधिग्रहित करने की कोशिश करती है, तो वे बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहेंगे।