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झारखंड से फरार हुआ नाइजीरियाई साइबर अपराधी, सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

झारखंड में 80 लाख की ठगी का आरोपी नाइजीरियाई नागरिक हाईकोर्ट से जमानत के बाद भारत छोड़कर भाग गया। इस घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को सुझाव दिए हैं कि विदेशी अपराधियों के जमानत पर फरार होने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाई जाए।

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Ajit Kumar Pandey
झारखंड से फरार हुआ नाइजीरियाई साइबर अपराधी, सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता | यंग भारत न्यूज

झारखंड से फरार हुआ नाइजीरियाई साइबर अपराधी, सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । झारखंड में 80 लाख की ठगी का आरोपी नाइजीरियाई साइबर क्रिमिनल झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिलते ही भारत छोड़कर भाग गया। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता जताते हुए कहा कि आपराधिक वारदात को अंजाम देने वाले विदेशी नागरिक अक्सर बेल मिलने के बाद देश से फरार हो जाते हैं। यह घटना हमारी कानूनी व्यवस्था में मौजूद बड़ी खामियों को उजागर करती है। 

बता दें कि झारखंड में एक बड़े साइबर फ्रॉड के मामले ने देश की कानूनी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रांची के रहने वाले एक नाइजीरियाई नागरिक को साल 2019 में 80 लाख रुपये की ठगी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। दो साल से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद उसे झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। जिसके बाद वह चुपके से भारत से फरार हो गया। इस घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए चिंता व्यक्त की है। 

नाइजीरियाई अपराधी की कहानी: कैसे दिया कानून को चकमा? 

यह कहानी सिर्फ एक आपराधिक मामले की नहीं, बल्कि हमारी कानूनी प्रणाली की एक बड़ी चुनौती की है। जिस नाइजीरियाई नागरिक की बात हो रही है, उसे साल 2019 में गिरिडीह के कारोबारी निर्मल झुनझुनवाला से 80 लाख रुपये ठगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 

नाइजीरियाई नागरिक को झारखंड पुलिस ने 2019 में भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 419, 420, 467, 468, 471, 120बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66डी के तहत गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद वह दो साल तक जेल में रहा। 13 मई 2022 में झारखंड हाईकोर्ट ने उसे जमानत दे दी। लेकिन, जमानत की शर्तों का पालन करने के बजाय वह नाइजीरिया भाग गया।

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सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख और कानूनी पेंच जब राज्य सरकार ने इस मामले में दखल दिया और सुप्रीम कोर्ट से नाइजीरियाई नागरिक की जमानत रद्द करने की अपील की, तब यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया। 

जस्टिस दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने उसकी जमानत रद्द कर दी। हालांकि, सबसे बड़ी चुनौती यह है कि भारत की नाइजीरिया के साथ कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है, जिससे उसे वापस लाना लगभग असंभव हो गया है। 

यह पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में भी इसी तरह की चिंता व्यक्त की थी, जब कई विदेशी साइबर अपराधी और वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपी जमानत के बाद देश छोड़कर भाग गए थे।  

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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। न्यायालय ने कहा कि भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली की अखंडता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि ऐसी नीति बनाई जाए जिससे विदेशी अपराधी जमानत मिलने के बाद भाग न सकें। (इनपुट आईएएनएस)

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