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रांची (वाईबीएन डेस्क): झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा दायर अवमानना याचिका को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि जनहित याचिका के माध्यम से अवमानना का मामला नहीं बनता।
अदालत की टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अनजारिया की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ी नियमावली को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है और उस पर अलग से सुनवाई होगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दायर यह अवमानना याचिका स्वीकार्य नहीं है। अदालत के फैसले के बाद अब अनुराग गुप्ता का डीजीपी पद पर बने रहना सुनिश्चित हो गया है।
कपिल सिब्बल ने रखी सरकार की दलील
राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत में दलील दी कि डीजीपी की नियुक्ति राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है और अनुराग गुप्ता की नियुक्ति पूरी तरह नियमों के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि इसमें किसी भी दिशा-निर्देश का उल्लंघन नहीं हुआ है। अदालत ने इन दलीलों को मानते हुए बाबूलाल मरांडी की याचिका को खारिज कर दिया। *वि
पक्ष के आरोप और राजनीतिक मायने
बाबूलाल मरांडी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के पूर्व दिशा-निर्देशों, विशेषकर प्रकाश सिंह बनाम केंद्र सरकार मामले में दिए गए निर्देशों का उल्लंघन है। उनका कहना था कि मौजूदा डीजीपी को हटाकर नियमों के खिलाफ यह नियुक्ति की गई। हालांकि, अदालत के फैसले ने साफ कर दिया कि यह अवमानना का मामला नहीं बनता। राजनीतिक रूप से यह फैसला झारखंड की सत्तारूढ़ सरकार के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। विपक्ष लगातार आरोप लगाता रहा है कि सरकार नियुक्तियों में मनमानी कर रही है, जबकि सरकार का कहना है कि सभी नियुक्तियां कानून और प्रक्रिया के तहत ही हो रही हैं।