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रांची वाईबीएन डेस्क : असम के डिब्रूगढ़ जिला पुस्तकालय सभागार में आयोजित जनी शिकार उत्सव 2025 में झारखंड की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुईं। इस कार्यक्रम का आयोजन ऑल आदिवासी विमेंस एसोसिएशन ऑफ असम (AAWAA) और ऑल आदिवासी स्टूडेंट एसोसिएशन ऑफ असम (AASAA) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस अवसर पर यूनेस्को की को-चेयरपर्सन डॉ. सोनाझरिया मिंज सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
परंपरा और साहस का प्रतीक
मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने अपने संबोधन में कहा कि जनी शिकार उरांव जनजाति द्वारा हर 12 वर्ष पर मनाया जाने वाला पारंपरिक उत्सव है। यह उत्सव मुगलों के खिलाफ आदिवासी महिलाओं की रोहतासगढ़ किले की जीत की याद दिलाता है। इस आयोजन की विशेषता यह है कि महिलाएं पुरुषों के वस्त्र पहनकर शिकार के लिए निकलती हैं, जो उनकी वीरता और साहस का प्रतीक है।
असम के आदिवासी समाज का संघर्ष
मंत्री ने कहा कि असम के टी ट्राइब्स 200 साल पुराने शोषण की पीड़ा झेल रहे हैं। खराब स्वास्थ्य व्यवस्था, बच्चों की शिक्षा, कम वेतन पर ज्यादा काम और ST सूची में नाम दर्ज कराने की जद्दोजहद अभी भी जारी है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह संघर्ष सदियों से चल रहा है और हम सबको इसे मुकाम तक पहुंचाना है।
संविधान और अधिकारों पर खतरा
मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि देश में 2014 के बाद से संविधान बदलने की साजिश चल रही है। वही संविधान जो हमें जीने, रहने, बोलने और पढ़ने-लिखने का अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार इन अधिकारों को छीनना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में 65 लाख लोगों से वोट देने का संवैधानिक अधिकार छीना गया है, जिसमें आदिवासी, दलित, पिछड़े और प्रवासी मजदूर शामिल हैं। मंत्री ने कहा – “यह समय खामोश रहने का नहीं बल्कि संविधान की हकमारी के खिलाफ आवाज बुलंद करने का है।”