/young-bharat-news/media/media_files/2025/08/25/1756093892018-2025-08-25-09-22-01.jpeg)
रांची वाईबीएन डेस्क : झारखंड विधानसभा का पूरक मानसून सत्र दो दिन के अवकाश के बाद आज से फिर शुरू हो रहा है। सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों की ओर से जोरदार हंगामे की आशंका जताई जा रही है।
13वें संविधान संशोधन पर टकराव
सत्ता पक्ष केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे 13वें संविधान संशोधन का विरोध करेगा। कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने इसके लिए पत्र जारी किया है। झामुमो ने भी कांग्रेस के साथ इस विरोध में शामिल होने का फैसला लिया है। दूसरी ओर, विपक्ष भाजपा विधायक चंपाई सोरेन को हाउस अरेस्ट करने और रिम्स-2 प्रोजेक्ट स्थल पर कार्रवाई को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में है।
अनुपूरक बजट पर विपक्ष का हमला
पहले दिन सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 4296.62 करोड़ रुपए का पहला अनुपूरक बजट पेश किया। इसमें विकास योजनाओं, आपदा राहत और बुनियादी ढांचे पर अतिरिक्त खर्च का प्रस्ताव है। विपक्ष ने इस बजट को दिखावटी करार दिया और कहा कि यह जनता की वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं करता। भाजपा ने सूर्या हांसदा एनकाउंटर को संदिग्ध बताते हुए इसे संथाल परगना की आवाज दबाने की कोशिश बताया। 26 अगस्त: अतिवृष्टि पर विशेष चर्चा हाल की भारी बारिश से किसानों की फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है। इस मुद्दे पर 26 अगस्त को विधानसभा में विशेष चर्चा होगी। सरकार किसानों की भरपाई और राहत योजनाओं की घोषणा कर सकती है। विपक्ष ने संकेत दिए हैं कि वह इस विषय पर भी सरकार से कड़े सवाल करेगा।
शिबू सोरेन को भारत रत्न देने का प्रस्ताव
28 अगस्त को सदन में दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भारत रत्न देने का प्रस्ताव पेश किया जाएगा। झामुमो ने इसे ऐतिहासिक करार दिया और कहा कि सोरेन ने झारखंड आंदोलन व आदिवासी समाज को नई दिशा दी।सभी दलों से इस प्रस्ताव पर सर्वसम्मति की उम्मीद है।
सत्ता पक्ष की रणनीति
संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि सरकार विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने को तैयार है। झामुमो का दावा है कि एसआईआर राजनीतिक साजिश है और सरकार इसे उजागर करेगी। विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो ने भरोसा जताया कि सत्र सकारात्मक माहौल में चलेगा।
निष्कर्ष
पूरे सत्र के दौरान संविधान संशोधन, अनुपूरक बजट, अतिवृष्टि, एनकाउंटर और शिबू सोरेन को भारत रत्न देने का प्रस्ताव प्रमुख मुद्दे रहेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सत्र झारखंड की राजनीति में ऐतिहासिक और हंगामेदार दोनों साबित हो सकता है।