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मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में सजा पुनरीक्षण परिषद की बैठक, 51 कैदी होंगे रिहा

झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की 35वीं बैठक में 103 मामलों की समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में 51 कैदियों की रिहाई पर सहमति बनी। सरकार ने निर्देश दिया कि रिहा होने वाले कैदियों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से

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MANISH JHA
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रांची स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की 35वीं बैठक मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में राज्य के विभिन्न कारागारों में आजीवन सजा काट रहे 103 कैदियों के मामलों पर विचार हुआ। इनमें से 37 नए और 66 पुराने (पहले अस्वीकृत) मामलों की समीक्षा की गई। गहन विचार-विमर्श के बाद 51 कैदियों को रिहा करने पर सहमति बनी।

अपराध, आचरण और सामाजिक स्थिति पर रहा फोकस

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ एक-एक कैदी की फाइल पर चर्चा की। रिहाई के लिए अपराध की प्रकृति, न्यायालयों और संबंधित अधिकारियों की रिपोर्ट, कैदियों का आचरण, उम्र और सामाजिक स्थिति जैसे पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे कैदी जो 14 वर्ष से अधिक समय से सजा काट रहे हैं और जिनका जेल में आचरण अच्छा है, उन्हें नया जीवन शुरू करने का अवसर दिया जाना चाहिए। 

रिहा कैदियों को मिलेगा सामाजिक सुरक्षा का सहारा

बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि रिहा होने वाले कैदियों को हर हाल में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ा जाए। बीमार या मानसिक रूप से अस्वस्थ कैदियों के लिए विशेष चिकित्सा योजना बनाई जाएगी। डॉक्टरों की रिपोर्ट के बाद ही उनकी रिहाई पर विचार किया जाएगा ताकि वे समाज में पुनः सम्मानजनक जीवन जी सकें।

2019 से अब तक 619 कैदी रिहा

बैठक में दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2019 से अब तक राज्य के विभिन्न कारागारों से 619 कैदियों को रिहा किया जा चुका है। इनमें से 470 कैदियों को वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, प्रधानमंत्री आवास योजना और मनरेगा जैसी योजनाओं से जोड़ा गया है। शेष कैदियों को भी योजनाओं से आच्छादित करने की प्रक्रिया जारी है। Summary झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की 35वीं बैठक में 103 मामलों की समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में 51 कैदियों की रिहाई पर सहमति बनी। सरकार ने निर्देश दिया कि रिहा होने वाले कैदियों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ा जाए। 

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