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बुरे फंसे DGP झारखंड Anurag gupta , हेमंत सोरेन रखना चाहते हैं पर अमित शाह मान नहीं रहे

हेमंत सोरेन तो अनुराग गुप्ता को डीजीपी की कुर्सी पर बनाए रखना चाहते हैं लेकिन अमित शाह नहीं मान रहे। वो एक के बाद एक करके तीन चिट्ठी जारी कर चुके हैं कि डीजीपी को हेमंत सोरेन तत्काल प्रभाव से बाहर का रास्ता दिखाएं।

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Shailendra Gautam
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Jharkhand DGP anurag gupta

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः झारखंड के डीजीपी की हालत दिन ब दिन दयनीय होती जा रही है। हेमंत सोरेन तो अनुराग गुप्ता को डीजीपी की कुर्सी पर बनाए रखना चाहते हैं लेकिन अमित शाह नहीं मान रहे। वो एक के बाद एक करके तीन चिट्ठी जारी कर चुके हैं कि डीजीपी को हेमंत सोरेन तत्काल प्रभाव से बाहर का रास्ता दिखाएं। लेकिन होमंत ने अभी तक उनके निर्देशों पर अमल नहीं किया है। दूसरी तरफ डीजीपी के सेवा विस्तार को आधिकारिक तौर पर केंद्र ने मंजूर नहीं किया जिससे उनकी तनख्वाह पेंशन सारी चीजें रुक गईं। घटनाक्रम को देखें तो साफ लगता है कि डीजीपी के मसले पर राज्य और केंद्र सरकार के बीच टकराव होता दिख रहा है। 

30 अप्रैल को होनी थी डीजीपी की सेवानिवृति, दे दिया सेवा विस्तार

डीजीपी अनुराग गुप्ता की सेवानिवृति 30 अप्रैल को होनी थी, लेकिन इससे पहले ही हेमंत सरकार ने जनवरी में नए नियम बनाकर अनुराग गुप्ता को 2 फरवरी से दो सालों तक के लिए सेवा विस्तार दे दिया गया। अनुराग गुप्ता 30 अप्रैल के बाद पद पर बने रहें। केंद्र सरकार इसे गलत करार देने के लिए ऑल इंडिया सर्विस रूल्स का हवाला दे रही है। 

केंद्र ने तीन चिट्ठी भेजकर डीजीपी को हटाने के लिए कहा

केंद्र सरकार ने तीसरी बार झारखंड सरकार से डीजीपी अनुराग गुप्ता को उनके पद से हटाने को कहा है। अमित शाह की अगुवाई वाले गृह मंत्रालय की ओर से हेमंत सोरेन को तीसरा पत्र भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि अनुराग गुप्ता 30 अप्रैल 2025 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अब उन्हें डीजीपी पद पर बनाए रखना संविधान और सेवा नियमों के खिलाफ है। राज्य सरकार सेवा विस्तार का तर्क दे रही है। वहीं कुछ लोग इसे बाबू लाल मरांडी के हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस से भी जोड़ कर देख रहे हैं। मरांडी ने खुद को डीजीपी अनुराग गुप्ता से खतरा बनाया था। 

गृह मंत्रालय बोला- हमने सेवा विस्तार की अनुमति नहीं दी

गृह मंत्रालय ने पत्र में झारखंड सरकार के उस निर्णय पर आपत्ति जताई है, जिसमें राज्य ने अनुराग गुप्ता को सेवा विस्तार देते हुए उन्हें डीजीपी पद पर बनाए रखा था। केंद्र ने इसे पूरी तरह असंवैधानिक और नियमों के विरुद्ध बताया है। पत्र में कहा गया है कि सेवा नियमों के अनुसार कोई भी अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद पद पर नहीं रह सकता, जब तक कि उन्हें विशेष अनुमति न दी गई हो, जो इस मामले में नहीं है।

विपक्ष उठा रहा सवाल

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खास बात है कि यह निर्देश ऐसे समय आया है जब झारखंड में कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है। विपक्षी दलों ने अनुराग गुप्ता को सेवा विस्तार देने को लेकर पहले ही सरकार की आलोचना की थी और इसे राजनीतिक संरक्षण करार दिया था। अब देखना यह होगा कि झारखंड सरकार केंद्र के निर्देशों पर क्या कदम उठाती है। राज्य सरकार अगर केंद्र के निर्देशों का पालन नहीं करती है तो यह टकराव का रूप भी ले सकता है। 


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