/young-bharat-news/media/media_files/2025/08/28/1756348845630-2025-08-28-08-11-01.jpg)
रांची वाईबीएन डेस्क : झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार ने शुक्रवार को जमीन मुआवजा से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने अधिकारियों के रवैये पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि पूरे देश में एक कानून चलता है, तो झारखंड में अलग से कानून क्यों लागू किया जा रहा है।
मुआवजा पर आपत्ति को लेकर नाराजगी
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट कहा कि जमीन को रैयती घोषित करने का अधिकार केवल सरकार के पास है। इसके बावजूद प्रोजेक्ट डायरेक्टर मुआवजा देने में आपत्ति क्यों जता रहे हैं। अदालत ने तीखे शब्दों में टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या इसके पीछे अधिकारी को “कमीशन” चाहिए।
कमीशनखोरी बर्दाश्त नहीं
न्यायालय ने चेतावनी दी कि झारखंड में “कमीशन का खेल” नहीं चलेगा। अदालत ने सवाल उठाया कि क्या पूरे देश में इस तरह से मुआवजा प्रक्रिया में आपत्ति जताई जाती है या यह झारखंड में पहली बार हो रहा है। कोर्ट ने साफ कहा कि इस तरह की कार्यशैली न्यायसंगत नहीं है।
संपत्ति जांच का संकेत
जस्टिस राजेश कुमार ने यह भी टिप्पणी की कि यदि जरूरत पड़ी तो संबंधित प्रोजेक्ट डायरेक्टर की संपत्ति की जांच कराई जाएगी। अदालत ने अधिकारी के आचरण को गंभीरता से लेते हुए कहा कि न्यायालय ऐसी लापरवाही को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।
आपत्ति वापस लेने का विकल्प
हाईकोर्ट ने सुनवाई के अंत में एनएचएआइ प्रोजेक्ट डायरेक्टर को आपत्ति वापस लेने की छूट भी प्रदान की। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि मुआवजा प्रक्रिया में किसी तरह की बाधा नहीं आनी चाहिए। इस मामले ने झारखंड में भूमि अधिग्रहण और मुआवजा प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। अदालत की सख्ती से अधिकारियों को स्पष्ट संदेश गया है कि किसी भी प्रकार की मनमानी या कमीशनखोरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
ias | Jharkhand High Court