नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। झारखंड शराब घोटाला केस में ACB ने बड़ा एक्शन लेते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रधान सचिव रहे विनय कुमार चौबे को गिरफ्तार कर लिया है। एसीबी ने लंबी पूछताछ के बाद विनय चौबे को गिरफ्तार किया। चौबे को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। इसे लेकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना साधा है और सवाल उठाए हैं।
निशिकांत दुबे ने उठाए सवाल
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "झारखंड सरकार ने भ्रष्टाचार में लिप्त मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी के प्रधान सचिव रहे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी विनय चौबे जी को शराब घोटाले में संलिप्तता के आरोप में गिरफ़्तार किया, बड़ी कार्रवाई है, लेकिन बात समझ में नहीं आई कि किस प्राइवेट संस्थान को फ़ायदा पहुँचाया? किस बिचौलियों ने पैसा दिया? इस डील में क्या कोई भी नेता शामिल नहीं था? लगता है कुछ बड़का सेटिंग है?"
क्या है मामला?
झारखंड में नई शराब नीति के निर्माण और राज्य को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के आरोपों में एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे की भूमिका की जांच शुरू की है। आरोप है कि चौबे ने छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर यह नीति बनाई, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। ACB के मुताबिक, प्रावधानों और नियमों को दरकिनार कर दोनों अधिकारियों ने 7 प्लेसमेंट एजेंसियों को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे झारखंड सरकार को 38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। एसीबी ने तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे और गजेंद्र सिंह से कई बार पूछताछ की है।
नई शराब नीति में घोटाले का आरोप
गौरतलब है कि चौबे के आबकारी विभाग के सचिव के पद पर रहने के दौरान नई शराब नीति लागू की गई थी, जिसमें कथित अनियमितताओं की जांच की जा रही है। इससे पहले राज्य सरकार ने 1999 बैच के इस आईएएस अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति दी थी। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी पिछले वर्ष अक्टूबर में आबकारी घोटाले की जांच के तहत चौबे और गजेंद्र सिंह से जुड़े कई परिसरों पर छापेमारी की थी।
चौबे ने पूछताछ में क्या कहा?
ईडी ने चौबे को पूछताछ के लिए छत्तीसगढ़ बुलाया था। इस दौरान चौबे ने अपनी सफाई में कहा कि नई उत्पाद नीति सरकार की स्वीकृति से लागू की गई थी और इसमें उनकी कोई व्यक्तिगत भूमिका नहीं थी। इस मामले ने तब और तूल पकड़ा जब झारखंड के एक नागरिक ने छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में दावा किया गया कि झारखंड में हुआ शराब घोटाला दरअसल छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट द्वारा रची गई एक बड़ी साजिश का हिस्सा था।
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