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रांची, वाईबीएन डेस्क । सूर्या हांसदा की मौत के बाद न्याय की मांग करते मासूम बच्चों की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं। इन बच्चों का कहना है कि सूर्या हांसदा उनके लिए सिर्फ़ एक मार्गदर्शक नहीं, बल्कि शिक्षा और बेहतर भविष्य का सहारा थे।
बच्चों के भविष्य के सवाल
सूर्या हांसदा शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय थे और आदिवासी बच्चों के उत्थान के लिए लगातार काम कर रहे थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने बच्चों की पढ़ाई में सहयोग किया और समाज को नई दिशा देने की कोशिश की। लेकिन अचानक हुए ‘एनकाउंटर’ में उनकी मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या यही था उनका अपराध?
लोगों के बीच यह सवाल गूंज रहा है कि क्या बच्चों की शिक्षा और उत्थान के लिए काम करना ही सूर्या हांसदा का अपराध था। कई सामाजिक कार्यकर्ता मानते हैं कि उनकी हत्या सुनियोजित साज़िश का हिस्सा हो सकती है।
न्याय की ज़िम्मेदारी
बच्चों और स्थानीय समाज ने मांग की है कि सूर्या हांसदा की मौत की निष्पक्ष जांच हो और गुनहगारों को कड़ी सज़ा मिले। लोगों का कहना है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक वे चुप नहीं बैठेंगे।
भविष्य की चिंता
स्थानीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में न्याय नहीं हुआ तो भविष्य में कोई भी व्यक्ति आदिवासी समाज के उत्थान के लिए आगे आने से हिचकेगा। लोग चाहते हैं कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और बच्चों को मजबूरी में न्याय की तख़्ती न उठानी पड़े।