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बीसागाम से राष्ट्रपति भवन: रामदास बेदिया की मिट्टी से महल तक की प्रेरणादायक यात्रा

झारखंड के साधारण किसान रामदास बेदिया, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के लाभार्थी, 15 अगस्त को राष्ट्रपति भवन के रात्रिभोज में शामिल होंगे। यह सफर उनके मेहनत और ईमानदारी का नतीजा है, जिसने गांव से दिल्ली तक की दूरी मिटा दी।

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MANISH JHA
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रांची वाईबीएन डेस्क : झारखंड के रांची जिला के अनगड़ा प्रखंड स्थित बीसा गाम के साधारण किसान रामदास बेदिया आज पूरे राज्य में गर्व का कारण बन गए हैं। खेत, खलिहान और माड़-भात के सादे जीवन से निकलकर अब वे राष्ट्रपति भवन के भव्य रात्रिभोज के विशेष अतिथि बनने जा रहे हैं। यह सम्मान उन्हें 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मिलेगा।

प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से बदली तकदीर

रामदास बेदिया के पास पहले केवल डेढ़ एकड़ खेत और कच्चा घर था। कभी खुद खेती करके तो कभी बटाई पर दूसरों के खेत में मेहनत करके जीवन चलता था। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत उन्हें पक्का घर बनाने का मौका मिला। खास बात यह रही कि उन्होंने बैल-बकरी बेचकर और मजदूरी करके समय से पहले घर का निर्माण पूरा कर दिया। यही मेहनत और ईमानदारी उन्हें राष्ट्रपति भवन तक ले गई।

गांव से दिल्ली तक का सपना

बीसा गाम से दिल्ली की यात्रा रामदास के लिए किसी सपने से कम नहीं। उन्होंने ट्रेन से गिनती के सफर किए हैं और हवाई जहाज से सिर्फ एक बार—वो भी मजदूरी के लिए चेन्नई जाते समय। लेकिन इस बार, स्पीड पोस्ट से आया राष्ट्रपति भवन का निमंत्रण पत्र उनके जीवन का सबसे बड़ा तोहफा बन गया।

सादा जीवन, बड़े सपने

रामदास का परिवार बेहद सादगी से जीवन बिताता है। उनका रोज़ का खाना घर में उगाई सब्जियों, चावल, दाल और रोटी पर आधारित है। उनके तीन बच्चों में एक बेटी सरकारी स्कूल में और बेटा प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है। आर्थिक तंगी के बावजूद वे चाहते हैं कि बच्चे पढ़-लिखकर बड़े मुकाम हासिल करें लेकिन खेती और गांव से जुड़ाव बना रहे।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने की उम्मीद

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झारखंड से जुड़ी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने का मौका रामदास के लिए खास मायने रखता है। वे कहते हैं, > “राष्ट्रपति जी ने एक छोटे किसान को इतना बड़ा सम्मान दिया, इसके लिए मैं उनका धन्यवाद करूंगा।” 

गांव का गौरव

गांव के लोग इस खबर से बेहद खुश हैं। मोबाइल पर खबर देखकर लोग उन्हें बधाई देने आ रहे हैं। जब कोई पूछता है—"सच में दिल्ली जा रहे हो?"—तो रामदास मुस्कुराकर कहते हैं, “हां, जा रहा हूं।” यह कहानी सिर्फ एक किसान की नहीं, बल्कि यह सबूत है कि मेहनत और ईमानदारी से पाया गया सम्मान सबसे बड़ा होता है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से बना घर उनके लिए केवल एक छत नहीं, बल्कि वह पहचान है जिसने उन्हें बीसा गाम से सीधे राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया।

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