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रांची वाईबीएन डेस्क : झारखंड की राजनीति इन दिनों सूर्या हांसदा को लेकर गरमाई हुई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इस बीच संसदीय कार्य मंत्री और झामुमो नेताओं द्वारा हांसदा को अपराधी करार देना विवाद का विषय बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयानबाजी न केवल न्यायिक प्रक्रिया का अनादर है बल्कि लोकतांत्रिक मर्यादाओं के भी खिलाफ है।
दिशोम गुरु और सूर्या हांसदा पर लगे आरोप
दिशोम गुरु नाम से चर्चित नेता लंबे समय तक कई गंभीर आपराधिक मामलों में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद रहे। इसी तरह सूर्या हांसदा पर भी अनेक मामलों में आरोप लगे। हालांकि अधिकांश मामलों में वे अदालत से बरी हो चुके हैं। न्यायालय ने अब तक उन्हें किसी भी आपराधिक प्रकरण में दोषी नहीं ठहराया है।
न्यायालय का अधिकार सर्वोपरि
भारतीय न्याय व्यवस्था के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपराधी घोषित करने का अधिकार केवल अदालत के पास है। जनप्रतिनिधि या राजनीतिक दल केवल आरोप लगा सकते हैं, लेकिन अदालत के फैसले से पहले किसी को दोषी बताना कानूनन गलत है। यही कारण है कि हांसदा को लेकर दिया गया बयान संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध माना जा रहा है।
राजनीतिक मर्यादा का सवाल
विशेषज्ञों का कहना है कि राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप सामान्य है, लेकिन किसी व्यक्ति को अपराधी कहना गंभीर विषय है। यह न केवल संबंधित व्यक्ति की छवि खराब करता है बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं पर भी सवाल खड़ा करता है। विपक्ष का कहना है कि हांसदा को अदालत ने दोषी नहीं ठहराया, इसलिए उन्हें अपराधी बताना पूरी तरह अनुचित और गैर-जिम्मेदाराना है।