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घोड़े पर सवार Lakshmibai के चित्र को मिला 15000 रुपये का Prize, आखिर ऐसा क्या खास है

बिठूर महोत्सव 2025 इस वर्ष ऐतिहासिक रूप से और भी खास होगा, क्योंकि यह नाना राव पेशवा की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है। इस महोत्सव के लिए आधिकारिक लोगो का चयन कर लिया गया है

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Ranjana Sharma
 Lakshmibai
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कानपुर ,वाईबीएन नेटवर्क।

बिठूर महोत्सव 2025 इस वर्ष ऐतिहासिक रूप से और भी खास होगा, क्योंकि यह नाना राव पेशवा की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है। इस महोत्सव के लिए आधिकारिक लोगो का चयन कर लिया गया है, जिसमें लोगो डिजाइन प्रतियोगिता में मिली कई उत्कृष्ट प्रविष्टियों में एस०एन० सेन० बी०वी० पी०जी० कॉलेज की अनुष्का सिंह द्वारा डिजाइन किए गए लोगो को जिला स्तरीय समिति द्वारा सर्वसम्मति से चयनित किया गया है। यह लोगो बिठूर की गौरवशाली विरासत, 1857 की क्रांति में इसकी भूमिका, और महाराष्ट्र के साथ इसके ऐतिहासिक संबंधों को दर्शाता है। इसे महोत्सव के सभी आधिकारिक प्रचार-प्रसार में उपयोग किया जाएगा। विजेता को 15000/- नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा।

आधुनिकता का एक सजीव उत्सव बनेगा महोत्‍सव 

बिठूर महोत्सव -2025 के लिए चयनित आधिकारिक लोगो न केवल बिठूर और कानपुर की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है, बल्कि यह वीरता आध्यात्मिकता और आधुनिकता का संगम भी है। इस लोगो में रानी लक्ष्मीबाई को घोड़े पर सवार दिखाया गया है, जो बिठूर की गौरवशाली ऐतिहासिक पहचान से सीधे जुड़ी हैं। यहीं उनका बचपन बीता और यहीं 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी को प्रज्वलित किया गया। लोगो में लहराता हुआ ध्वज और अग्नि की ज्वाला आग्निकुंड (ब्रह्मकुटी, बिठूर) का प्रतीक है, जो इस पावन स्थल की आध्यात्मिकता और शक्ति को दर्शाता है। यह आग्निकुंड भारतीय संत परंपरा और ज्ञान की अविरल धारा का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे बिठूर को आध्यात्मिक नगर के रूप में भी पहचाना जाता है। यह लोगो न केवल इतिहास और संस्कृति को दर्शाता है, बल्कि आधुनिक कानपुर के नवाचार, ऊर्जा और उन्नति का भी प्रतीक है। इस लोगो के माध्यम से बिठूर महोत्सव 2025 इतिहास, संस्कृति और आधुनिकता का एक सजीव उत्सव बनेगा, जो हर पीढ़ी को प्रेरित करेगा और हमारी विरासत को गौरवान्वित करेगा।

संस्कृति समृद्ध होती है और भविष्य आकार लेता है

बिठूर महोत्सव 2025 का आयोजन 21 से 23 मार्च तक नानाराव पेशवा स्मारक, बिठूर में किया जाएगा, जिसमें 1857 की क्रांति की गौरवगाथा, सांस्कृतिक विरासत, लोककला, और महाराष्ट्र-बिठूर के ऐतिहासिक संबंधों को दर्शाने वाले कई कार्यक्रम होंगे। यह महोत्सव न केवल इतिहास को जीवंत करेगा, बल्कि कला, संस्कृति और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम प्रस्तुत करेगा।

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