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मुंबई, वाईबीएन नेटवर्क: महाराष्ट्र में भाषा को लेकर चल रहे विवाद के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ किया है कि राज्य में हिंदी किसी पर थोपी नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि मराठी भाषा पहले की तरह अनिवार्य बनी रहेगी और उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। फडणवीस का यह बयान तब आया जब विपक्षी दलों खासकर शिवसेना (UBT) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने आरोप लगाया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत त्रिभाषा फार्मूले के जरिये राज्य में हिंदी को जबरन लागू किया जा रहा है।
हम किसी पर हिंदी थोप नहीं रहे
पुणे के भंडारकर शोध संस्थान में एक कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि यह कहना गलत है कि हम हिंदी थोप रहे हैं। मराठी पहले की तरह अनिवार्य है और रहेगी। इसके अलावा कोई और भाषा अनिवार्य नहीं की गई है। त्रिभाषा नीति को लेकर उठे विवाद पर उन्होंने स्पष्ट किया कि मराठी की जगह हिंदी नहीं ली जा रही है। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में यह प्रावधान है कि छात्रों को तीन भाषाएं पढ़नी होंगी, जिनमें से दो भारतीय भाषाएं होनी चाहिए। मराठी पहले से अनिवार्य है, और इसके साथ छात्र हिंदी, तमिल, मलयालम, गुजराती जैसी अन्य भारतीय भाषाओं में से किसी एक को चुन सकते हैं।
अंग्रेजी को सर आंंखों पर क्यों
फडणवीस ने यह भी कहा कि हिंदी पढ़ाने के लिए शिक्षकों की उपलब्धता है, जबकि बाकी क्षेत्रीय भाषाओं के लिए ऐसा नहीं है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि लोग अंग्रेजी को भारतीय भाषाओं से ऊपर क्यों मानते हैं। फडणवीस ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि हम हिंदी जैसी अपनी भाषाओं का विरोध करते हैं, लेकिन अंग्रेजी को सर आंखों पर रखते हैं। आखिर क्यों ऐसा लगता है कि अंग्रेजी हमारी अपनी भाषा है, और भारतीय भाषाएं पराई हैं? इस सोच पर विचार होना चाहिए।
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