मथुरा, वाईबीएन डेस्क: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन स्थित प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी जी मंदिर के प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सेवा-सुविधाओं की जिम्मेदारी अब एक नए न्यास (ट्रस्ट) के पास होगी। मंदिर के संचालन के लिए राज्यपाल की ओर से नॉटिफिकेशन जारी किया गया है, जिसके तहत मंदिर का देखरेख अब ‘श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास’ नामक संस्था द्वारा किया जाएगा।
11 नामित ट्रस्टी नियुक्त किए जाएंगे
इस न्यास में कुल 11 नामित ट्रस्टी नियुक्त किए जाएंगे, जबकि अधिकतम 7 पदेन सदस्य होंगे। महत्वपूर्ण बात यह है कि ट्रस्ट के सभी सदस्य सनातन धर्म को मानने वाले हिंदू होंगे, ताकि मंदिर की पारंपरिक धार्मिक गरिमा यथावत बनी रहे।
श्रद्धालुओं को होगी सुविधा
अध्यादेश में स्पष्ट किया गया है कि यह ट्रस्ट मंदिर की धार्मिक, सांस्कृतिक और पूजा-पद्धतियों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेगा। इसके प्रमुख उद्देश्यों में स्वामी हरिदास जी की परंपरा के अनुसार पूजा, व्रत, अनुष्ठान और उत्सवों की निरंतरता को सुनिश्चित करना शामिल है। हालांकि, दर्शन के समय का निर्धारण, पुजारियों की नियुक्ति, वेतन व्यवस्था, आगंतुकों की सुरक्षा और श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु आधुनिक उपायों पर न्यास को पूरा अधिकार होगा। इसका प्रमुख लक्ष्य मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराना है।
नामित (नॉमिनेटेड) ट्रस्टी– कुल 11 सदस्य
- वैष्णव परंपराओं से संबंधित तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति।
- सनातन धर्म की अन्य परंपराओं से जुड़े तीन संत, महंत, आचार्य, स्वामी या विद्वान।
- सनातन धर्म से जुड़े तीन शिक्षाविद, समाजसेवी, उद्यमी या विद्वान।
- गोस्वामी परंपरा से दो सदस्य, जो स्वामी हरिदास जी के वंशज होंगे– इनमें एक राजभोग सेवायतों का और दूसरा शयन भोग सेवायतों का प्रतिनिधित्व करेगा।
- इनकी नियुक्ति संबंधित परंपराओं से प्राप्त नामांकनों के आधार पर की जाएगी।
पदेन (एक्स-ऑफिशियो) ट्रस्टी– अधिकतम 7 सदस्य
- मथुरा के जिलाधिकारी (DM)
- वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP)
- नगर आयुक्त
- उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के CEO
- धर्मार्थ कार्य विभाग का एक अधिकारी
- श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट के CEO (राज्य सरकार द्वारा नियुक्त)
कार्यकाल और पात्रता
- नामित ट्रस्टियों का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा।
- कोई व्यक्ति लगातार दो बार नामित नहीं किया जा सकता, और अधिकतम दो बार ही नियुक्त किया जा सकता है।
- सभी ट्रस्टी अनिवार्य रूप से सनातन धर्म को मानने वाले हिंदू होंगे।
- यदि किसी पदेन सदस्य की आस्था या व्यक्तिगत कारणों से दायित्व निभाने में असमर्थता हो, तो उनके स्थान पर
- कनिष्ठ अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा।
- नियुक्ति में जाति या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा।
ट्रस्ट की शक्तियां और वित्तीय प्रबंधन
- बोर्ड के सभी निर्णय साधारण बहुमत से लिए जाएंगे।
- प्रत्येक सदस्य अपने पास मौजूद धनराशि के लिए उत्तरदायी होगा।
- ट्रस्ट 20 लाख रुपये तक की चल-अचल संपत्ति खरीदने, किराये पर लेने या पट्टे पर लेने का निर्णय स्वयं ले सकेगा।
राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक होगी
ट्रस्ट, राज्य सरकार की अनुमति के बाद मंदिर की संपत्तियों को बेचने, उपहार देने, अदला-बदली करने या तीसरे पक्ष के नाम पर अधिकार सृजित करने का प्रस्ताव पारित कर सकता है। न्यास की कोई भी संपत्ति अध्यादेश के प्रावधानों के अनुरूप अन्य संपत्ति में बदली जा सकती है।
पारदर्शिता और लेखा परीक्षा
अगर किसी वित्तीय गड़बड़ी या शिकायत की आशंका होती है, तो राज्य सरकार को ट्रस्ट की लेखा पुस्तकों की स्वतंत्र जांच का अधिकार होगा। यह लेखा परीक्षा उत्तर प्रदेश राज्य के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक कार्यालय या किसी प्रसिद्ध स्वतंत्र लेखा परीक्षा एजेंसी से करवाई जा सकेगी।
प्रशासनिक नेतृत्व
न्यास के संचालन की जिम्मेदारी मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) के पास होगी, जो मथुरा के अपर जिलाधिकारी या समकक्ष रैंक के अधिकारी होंगे। वे ट्रस्ट के सभी प्रशासनिक और क्रियान्वयन संबंधी मामलों की निगरानी करेंगे।