देहरादून, वाईबीएन डेस्क: भाजपा के सांसद और 'एक राष्ट्र, एक चुनाव पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के अध्यक्ष पी.पी. चौधरी ने एक अहम बयान देते हुए कहा है कि एक साथ चुनाव कराने से देश में लोकतंत्र और भी मजबूत होगा और मतदाता की भागीदारी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 1967 तक भारत में एक साथ चुनाव होते थे और तब किसी प्रकार की अराजकता नहीं थी न ही कोई संवैधानिक संकट पैदा हुआ।
क्या 1967 के चुनाव में उस समय देश में अराजकता थी
देहरादून में मीडिया से बातचीत करते हुए चौधरी ने कहा, "1967 तक एक साथ चुनाव हुए। क्या उस समय देश में अराजकता थी? अभी भी कई राज्यों में एक साथ चुनाव हो रहे हैं, वहां कभी कोई दिक्कत नहीं आती। वे राज्य बड़े खुश हैं। उन्होंने कभी ये नहीं कहा कि हमारा चुनाव अलग कर दो।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का है फायदा
उन्होंने विपक्ष द्वारा इस प्रस्ताव पर की जा रही आलोचना को भी सिरे से खारिज किया और कहा कि ऐसी दलीलों का कोई औचित्य नहीं है। "जो दलील दी जा रही है उसका कोई औचित्य नहीं है। हम चाहते हैं कि विपक्ष भी अपना पक्ष रखे। हम लोकतंत्र को नहीं बदल सकते," चौधरी ने दो टूक कहा। पीपी चौधरी ने इस बात पर जोर दिया कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि मतदाताओं की भागीदारी चुनाव प्रक्रिया में और अधिक बढ़ेगी, जिससे लोकतंत्र की जड़ें और गहरी होंगी।
एक साथ चुनाव वोटर की भागीदारी बढ़ेगी
अगर लोकतंत्र को सही मायने में मजबूत बनाना है तो एक साथ चुनाव करने में सबसे बड़ा फायदा ये है कि वोटर की भागीदारी बढ़ेगी," उन्होंने कहा। बता दें कि केंद्र सरकार लंबे समय से 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के प्रस्ताव को आगे बढ़ा रही है, जिसके तहत लोकसभा और सभी विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की योजना है। इस मुद्दे पर राजनीतिक और सार्वजनिक बहस तेज है, और चौधरी की अगुवाई में गठित JPC इस विषय पर सभी पक्षों से संवाद कर रही है।