जयपुर, वाईबीएन नेटवर्क।
राजस्थान की राजनीति में मंगलवार सुबह को तब हलचल हो गई जब केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने राजधानी जयपुर स्थित पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के घर पर छापेमारी की। सूत्रों के मुताबिक यह कार्रवाई देशभर में चर्चित 2,850 करोड़ रुपये के पीएसीएल चिटफंड घोटाले से जुड़ी है। ईडी की टीम सुबह-सुबह प्रताप सिंह के सिंधी कैंप क्षेत्र स्थित आवास पर पहुंची और तलाशी अभियान शुरू किया। छापेमारी के दौरान आवास के बाहर सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी गई। ईडी अधिकारियों के साथ एक डिजिटल फॉरेंसिक टीम भी मौजूद है, जो दस्तावेजों, मोबाइल व लैपटॉप जैसे डिजिटल उपकरणों को खंगाल रही है।
मामला क्या है?
यह मामला पीएसीएल लिमिटेड (PACL Ltd.) नामक कंपनी से जुड़ा है। जिसे सेबी (SEBI) ने 2014 में अवैध रियल एस्टेट योजनाएं चलाने के आरोप में बंद करवा दिया था। इस घोटाले में देश के 5.85 करोड़ से अधिक लोगों ने करीब 49,100 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिनमें से राजस्थान के 28 लाख निवेशकों का पैसा लगभग 2,850 करोड़ रुपये बताया गया है। घोटाले का पहला केस 2011 में जयपुर के चौमू थाने में दर्ज हुआ था। जिसके बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो गया।
सुप्रीम कोर्ट का दखल
सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को इस मामले की सुनवाई के बाद सेवानिवृत्त चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। जिसका उद्देश्य पीएसीएल की संपत्तियों की नीलामी कर, निवेशकों को उनका पैसा लौटाना था। सेबी के अनुसार कंपनी की लगभग 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियां चिन्हित की गई थीं।
प्रताप सिंह की संदिग्ध भूमिका
ईडी सूत्रों की मानें तो प्रताप सिंह खाचरियावास की भागीदारी लगभग 30 करोड़ रुपये की बताई जा रही है। जांच एजेंसी को शक है कि पीएसीएल के पैसों में से कुछ हिस्सा प्रताप सिंह के पास भी पहुंचा, जिसकी पुष्टि बैंक ट्रांजैक्शन्स और संपत्ति खरीद से जुड़ी फाइलों से की जा रही है। खाचरियावास, जो अशोक गहलोत सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रह चुके हैं, इस पूरे मामले में अब तक कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है।
राजनीतिक हलचल तेज
जैसे ही ईडी की कार्रवाई की खबर फैली कांग्रेस खेमे में हलचल मच गई। पार्टी नेताओं ने इसे "राजनीतिक प्रतिशोध" करार दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार अपने विरोधियों को डराने और बदनाम करने के लिए ईडी जैसे संस्थानों का दुरुपयोग कर रही है। वहीं, भाजपा नेताओं ने कार्रवाई को सही दिशा में उठाया गया कदम बताया और कहा कि भ्रष्टाचार पर कानून का शिकंजा कसना जरूरी है, चाहे वह किसी भी पार्टी का नेता क्यों न हो। ईडी अब रवींद्र खाचरियावास से जुड़े संपत्ति दस्तावेजों, बैंक खातों और फाइनेंशियल लेनदेन की विस्तृत जांच कर रही है। संभव है कि जल्द ही उन्हें पूछताछ के लिए समन किया जाए या उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाए।