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क्या CM भगवंत मान ने धार्मिक राजनीति का नया पासा फेंका? 'बेअदबी बिल' पर मचा सियासी तूफान | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । आज सोमवार 14 जुलाई 2025 को पंजाब विधानसभा में एक ऐतिहासिक बिल, 'पंजाब प्रिवेंशन ऑफ ऑफेंसेस अगेंस्ट होली स्क्रिप्चर्स बिल 2025' पेश किया गया है। यह बिल राज्य में धार्मिक ग्रंथों के अपमान को रोकने के लिए कड़े प्रावधानों का प्रस्ताव करता है, जिसमें आजीवन कारावास तक की सजा शामिल है। मुख्यमंत्री भगवंत मान का यह कदम क्या पंजाब की दशकों पुरानी समस्या का स्थायी समाधान साबित होगा?
पंजाब एक ऐसा राज्य है जहां धार्मिक सहिष्णुता की गहरी जड़ें हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में धार्मिक ग्रंथों के अपमान की घटनाओं ने समाज में अशांति और आक्रोश फैलाया है। इन घटनाओं ने न केवल लोगों की भावनाओं को आहत किया है, बल्कि राज्य की शांति और सद्भाव को भी चुनौती दी है। इसी पृष्ठभूमि में, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 'पंजाब प्रिवेंशन ऑफ ऑफेंसेस अगेंस्ट होली स्क्रिप्चर्स बिल 2025' को विधानसभा में पेश किया है। यह बिल, यदि पारित हो जाता है, तो धार्मिक ग्रंथों जैसे गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद गीता, कुरान, और बाइबिल का अपमान करने वालों को आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान करेगा। यह कदम निश्चित रूप से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वालों के लिए एक कड़ा संदेश है।
#WATCH | Chandigarh | Punjab CM Bhagwant Mann says, "Discussions were done on very important issues in the Punjab assembly. As the Home Minister of Punjab, I have tabled the 'Punjab Prevention of Offences Against Holy Scriptures Bill 2025' in the assembly...It is very sad that… pic.twitter.com/CQJLIIilsh
— ANI (@ANI) July 14, 2025
क्यों जरूरी था यह बिल? अतीत के घाव और भविष्य की आशा
पिछले कुछ समय से, पंजाब में बेअदबी की घटनाओं का सिलसिला चिंताजनक रहा है। ये घटनाएं अक्सर राजनीतिक रंग ले लेती हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो जाती है। पूर्व की सरकारों पर इन घटनाओं को रोकने में नाकाम रहने के आरोप लगते रहे हैं। मुख्यमंत्री मान ने खुद विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा पर बेअदबी की घटनाओं की जानकारी न होने का आरोप लगाया है, जो इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है। इस बिल का उद्देश्य न केवल अपराधियों को दंडित करना है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को हतोत्साहित करना भी है।
बिल में क्या है खास? कठोर प्रावधानों का विश्लेषण
'पंजाब प्रिवेंशन ऑफ ऑफेंसेस अगेंस्ट होली स्क्रिप्चर्स बिल 2025' के कुछ प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:
आजीवन कारावास: धार्मिक ग्रंथों के अपमान या उन्हें क्षति पहुँचाने पर आजीवन कारावास की सजा।
गैर-जमानती अपराध: इस बिल के तहत आने वाले अपराध गैर-जमानती होंगे, जिससे अपराधियों को आसानी से जमानत नहीं मिल पाएगी।
कड़ी जांच: अपराधियों की पहचान और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने के लिए सख्त जांच प्रक्रियाओं का प्रावधान।
यह बिल एक मजबूत संदेश देता है कि पंजाब सरकार धार्मिक भावनाओं के प्रति संवेदनशील है और ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेगी।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और आगामी बहस: विपक्ष का रुख क्या होगा?
मुख्यमंत्री मान ने कहा है कि इस बिल पर मंगलवार को विधानसभा में बहस होगी और उसके बाद इसे पारित किया जाएगा। विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने पहले ही इस मुद्दे पर अपनी अनभिज्ञता व्यक्त की है, जिस पर मान ने निराशा व्यक्त की है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस बिल पर क्या रुख अपनाते हैं। क्या वे सरकार के इस कदम का समर्थन करेंगे, या इसमें कुछ संशोधन सुझाएंगे? यह बहस निश्चित रूप से पंजाब की राजनीति और समाज में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगी।
क्या यह बिल पंजाब में शांति लाएगा?
यह बिल एक साहसिक कदम है, लेकिन क्या यह पंजाब में धार्मिक अशांति को पूरी तरह खत्म कर पाएगा? समाज में जागरूकता फैलाना और लोगों को धार्मिक सहिष्णुता का महत्व समझाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। केवल कानून बनाने से समस्या का पूर्ण समाधान नहीं होता, बल्कि उसे सही ढंग से लागू करना और समाज में सद्भाव का वातावरण बनाना भी आवश्यक है। यह बिल एक शुरुआत हो सकती है, लेकिन धार्मिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए अभी और भी बहुत कुछ करना बाकी है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा पेश किया गया यह बिल धार्मिक ग्रंथों के अपमान जैसे संवेदनशील मुद्दे पर एक निर्णायक पहल है। यदि यह कानून बन जाता है, तो यह पंजाब में धार्मिक बेअदबी की घटनाओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह बिल न केवल कानूनी रूप से अपराधियों को दंडित करेगा, बल्कि समाज में एक मजबूत नैतिक संदेश भी देगा कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान सर्वोपरि है। यह देखना होगा कि यह कानून जमीनी स्तर पर कितना प्रभावी साबित होता है और क्या यह वास्तव में पंजाब को धार्मिक सद्भाव के पथ पर अग्रसर कर पाता है।
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