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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। करीब दो दशक पहले राजनीतिक रास्ते अलग करने वाले ठाकरे बंधु अब एक बार फिर एक मंच पर एकसाथ नजर आए हैं। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे 5 जुलाई को मराठी अस्मिता के मुद्दे पर साथ मंच पर दिखाई दिए। शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) की संयुक्त रैली के दौरान उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे गले मिले। महाराष्ट्र की राजनीति में यह एक अहम मोड़ माना जा रहा है, क्योंकि हाल के वर्षों में यहां कई गठबंधन बने-बिगड़े हैं। ऐसे में ठाकरे भाइयों की यह संभावित नजदीकी एक नए राजनीतिक समीकरण की आहट मानी जा रही है, जिस पर पूरे राज्य की निगाहें टिकी हैं।
#WATCH | Mumbai: Brothers, Uddhav Thackeray and Raj Thackeray share a hug as Shiv Sena (UBT) and Maharashtra Navnirman Sena (MNS) are holding a joint rally as the Maharashtra government scrapped two GRs to introduce Hindi as the third language.
— ANI (@ANI) July 5, 2025
(Source: Shiv Sena-UBT) pic.twitter.com/nSRrZV2cHT
उद्धव ठाकरे और उनके बेटे और पार्टी नेता आदित्य ठाकरे मुंबई के वर्ली डोम पहुंचे, जहां उद्धव ठाकरे गुट (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के नेता एक संयुक्त रैली कर रहे हैं, क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पेश करने के लिए दो सरकारी प्रस्तावों को रद्द कर दिया है।
मराठी मानुष को दिशा देंगे राज-उद्धव
शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने इस पर बयान देते हुए कहा, "यह महाराष्ट्र में हम सभी के लिए एक त्यौहार की तरह है कि ठाकरे परिवार के दो प्रमुख नेता, जो अपनी राजनीतिक विचारधाराओं के कारण अलग हो गए थे, आखिरकार 20 साल बाद एक मंच साझा करने के लिए एक साथ आ रहे हैं। यह हमारी हमेशा से इच्छा रही है कि हमें उन लोगों से लड़ना चाहिए, जो महाराष्ट्र के लोगों के खिलाफ हैं। आज एक साथ आकर उद्धव और राज ठाकरे निश्चित रूप से मराठी मानुष को दिशा देंगे।"
#WATCH | Mumbai, Maharashtra: Shiv Sena (UBT) MP Sanjay Raut says, "... It is like a festival for all of us in Maharashtra that two prominent leaders of the Thackeray family, who separated due to their political ideologies, are finally coming together to share a stage after 20… pic.twitter.com/txa5K4xf3t
— ANI (@ANI) July 5, 2025
मराठी एकजुटता की "विजय सभा"
महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार द्वारा लाए गए त्रिभाषा फॉर्मूले का दोनों ठाकरे बंधुओं ने कड़ा विरोध किया, जिसके चलते सरकार को यह निर्णय स्थगित करना पड़ा। इसे 'मराठी अस्मिता की जीत' के रूप में पेश करते हुए शनिवार सुबह वरली के एनएससीआई डोम में एक बड़ी 'विजय सभा' का आयोजन किया गया है। इस सभा की खास बात यह है कि इसमें किसी भी राजनीतिक पार्टी का झंडा नहीं लाया जाएगा, और इसे पूरी तरह मराठी भाषा, संस्कृति और अस्मिता के लिए समर्पित रखा गया है। मराठी प्रेमियों, साहित्यकारों, कलाकारों और बुद्धिजीवियों को इस आयोजन में आमंत्रित किया गया है।
ठाकरे बंधुओं की एकजुटता के सियासी मायने
राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि यह एकजुटता केवल मराठी भाषा के मुद्दे तक सीमित नहीं है, बल्कि आगामी महानगरपालिका चुनावों में अपनी-अपनी राजनीतिक जमीन बचाने की रणनीति भी हो सकती है। सत्ताधारी पक्ष का भी यही आरोप है कि यह "मराठी एकता" असल में एक चुनावी गठजोड़ की भूमिका है।
क्या यह साथ लंबा चलेगा?
2014 और 2017 में भी दोनों दलों के एक होने की कोशिशें हुईं, लेकिन नेतृत्व को लेकर सहमति नहीं बन सकी। राज ठाकरे ने कई बार उद्धव पर संवादहीनता का आरोप भी लगाया। लेकिन अब जब राजनीतिक परिस्थितियां ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं। ऐसे में सबकी नजरें इस बात पर टिकी हुईं हैं कि क्या यह एकता केवल मंच तक सीमित रहेगी या महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आएगी। maharashtra news | politics | Raj and Uddhav together | uddhav Thackeray | marathi language controversy