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बदहाली की दास्तां : दो MP व तीन MLA वाला सतबरवा प्रखंड, ना तकदीर बदली ना तस्वीर

झारखंड का अजूबा प्रखंड है सतबरवा। राज्य गठन के 25 वर्ष व प्रखंड गठन के 24 साल गुजर गए। यह प्रखंड दो सांसद व तीन वि‍धायक का क्षेत्र है। बावजूद सतबरवा प्रखंड की तकदीर व तस्वीर नहीं बदली।

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Md Zeeshan Samar
एडिट
satbarwa palamau

पलामू, वाईबीएन संवाददाता।

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झारखंड का अजूबा प्रखंड है सतबरवा। राज्य गठन के 25 वर्ष व प्रखंड गठन के 24 साल गुजर गए। बावजूद सतबरवा प्रखंड की तकदीर व तस्वीर नहीं बदली। आज भी लोगों को बुनियादी सुविधाएं नसीब नहीं है। सौभाग्य से इस प्रखंड की जनता तीन विधायक व दो सांसद को चुनती है। सतबरवा प्रखंड में कुल 10 पंचायत हैं। इसमें चार पंचायत पोंची, दुलसुलमा, सतबरवा व बारी डालटनगंज विधान सभा क्षेत्र व पलामू लोकसभा क्षेत्र में पड़ते हैं। इसका नेतृत्व वर्तमान विधायक आलोक कुमार चौरसिया व सांसद वीडी राम कर रहे हैं। प्रखंड के चार पंचायत बोहिता, रेवारातू, घुटूवा व धावाडीह पंचायत पांकी विधान सभा व चतरा लोक सभा क्षेत्र में हैं। इसका नेतृत्व पांकी विधायक डा शशिभूषण मेहता व चतरा सांसद कालीचरण सिंह कर रहे हैं। सतबतवा प्रखंड के शेष दो पंचायत बकोरिया व रबदा का नेतृत्व लातेहार जिला के मनिका विधायक रामचंद्र सिंह व चतरा सांसद काली चरण कर रहे है। उक्त छह पंचायत चतरा लोकसभा में पड़ता । 

 राज्य गठन के 24 वर्ष बाद प्रखंड की क्या है स्थिति-

इस प्रखंंड की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या होंने पर बकोरिया व रबदा पंचायत को लातेहार जिला के मनिका प्रखंड पर निर्भर रहना पड़ता है। दुलसुलमा, बारी, सतबरवा, पोंची पंचायत को मेदिनीनगर व बोहिता, रेवारातू, घुटूआ, धावाडीह पंचायत को लेस्लीगंज प्रखंड पर निर्भर रहना पड़ता है। बीमार होने पर झोला छाप चिकित्सकों से ईलाज कराकर पैसा व अपनी जान तक गवां देते है। सक्षम लोग तुम्बागड़ा नवजीवन अस्पताल, मेदिनीनगर या रांची ईलाज कराने के लिए जाते हैं। सतबरवा में लगभग 4 करोड़ 25 लाख की लागत से अस्पताल बना है बावजहूद विभाग जैसे-तैसे शुरू कराया है। आज तक उदघाटन नहीं हुआ है। भवन जर्जर होने लगी है।  

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आंगनबाड़ी की क्या है स्थिति-

आंगनबाडी केंद्र की स्थिति थोड़ा बहुत स्वास्थ्य सुविधा की तरह ही है। रबदा व बकोरिया पंचायत लातेहार जिले के मनिका प्रखंड, घुटूआ, धावाडीह, बोहिता, रेवारातू लेस्लीगंज प्रखंड व दुलसुलमा, पोंची, बारी, सतबरवा सदर प्रखंड मेदिनीनगर से संचालित होता है। आज तक सतबरवा में सीडीपीओ की नियूक्ति नहीं की गई है। फलस्वरूप आंगनबाडी केंद्र मनमाने के तरीके से संचालित हो रहा है। 

जनवितरण प्रणाली की क्या है स्थिति-

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सतबरवा प्रखंड में जन वितरण प्रणली का हाल बेहाल है। यहां सदर प्रखंड मेदिनीनगर से अनाज का उठाव किया जाता है। मेदिनीनगर से अनाज लाने के दौरान कई बार अनाज की कालाबाजारी भी कर दी जाती है। मामला प्रकाश में आ चूका है। अपनी श‍िकायत लोग बीडीओ से करते हैंं। अनाज कम देना, अंगूठा लगाकर राशन नहीं देने वाला सतबरवा मंडी बन गया है। ईपाश मशीन सरकार ने लगाया है। बावजूद राशन गरीबों को कम मिल रहा है। दर्जनों बार लाभुक प्रखंड मुख्यालय पर विरोध कर चूके हैं। इसके बाद भी कार्डधारियों को अनाज मानक के अनुरूप नहीं मिल रहा है।   

 सिंचाई की क्या है व्यवस्था?

सतबरवा प्रखंड के दुलसुलमा पंचायत में मलय डैम है। इससे प्रखंड के बारी, दुलसुलमा, पोंची पंचायत में सिंचाई की जाती है।  रबदा व सतबरवा का कुछ ही भाग में सिंचाई हो पाता है। इस डैम का फाटक खराब रहने के कारण पानी बेकार बह जाता है। समाजसेवी सह राजद नेता ज्ञानचंद पांडेय के आंदोलन के बाद 30 लाख की लागत से लगभग 11 वर्ष पूर्व डैम में नया गेट लगाया गया था।  यह दो साल के बाद पुनः खराब हो गया। हाल में ही इसे पुन: मरम्मत कराया गया है। घुटूवा, रेवारातू, बोहिता, धावाडीह, बकोरिया में सिंचाई सुविधा का अभाव है।  

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 बिजली की क्या है व्यवस्था है?

बिजली की व्यवस्था भी ठीक नहीं है। आज भी रबदा पंचायत के सलैया के परहिया टोला के ग्रामीण ढ‍िबरी युग में जीने को विवश हैं। 25 घर है यहां 10 साल पूर्व इस गांव को पायलट प्रोजक्ट के तहत चयन किया था। अब भी  सच्चाई है यह है कि यहां के लोग विकास से कोसो दूर हैं। उक्त टोला तक पहु़ंचने के लिए एक जर्जर सड़क व एक पंगडंडी है। गांव में बिजली पहुंचाने के लिए सरकार ने पहल की थी। बावजूद चोर लगभग 8 पोल का तार ही काट कर ले गए।  

 पेयजल की क्या है व्यवस्था-

कहने में ही सिर्फ हाट बाजार सतबरवा अच्छा लगता है पर सुविधाहीन है। सतबरवा में तीन दशक पूर्व पेयजल एवं स्‍वच्‍छता विभाग ने जलमीनार की स्थापना की है। यह अपने स्थापना काल से ही  खूद प्यासा है। कुंए से सीधे जलापूर्ति कर दी जाती है। फिल्ट्रेशन की कोई व्यवस्था नहीं है। मेलाटांड, मस्जिद मुहल्ला, रोड मुहल्ला, क्रांति चौक के कनेक्‍शन धारियों को पानी नहीं मिल रहा है। बारी, पोंची, धावाडीह पंचायत में वाटर रिमुवल प्लांट लगाया गया है। पर यह हाथी का दांत साबित हो रहा है। 

 शिक्षा व्यवस्था की क्या है हालत-

मध्य विद्यालय रेवारातू व मध्य विद्यालय सोहड़ी को अपग्रेड करके हाई स्कूल बना दिया गया है। बावजूद  शिक्षकों की नियूक्ति नहीं की गई है। तीन-चार शिक्षकों के भरोसे छात्रों का भविष्‍ टिका  है। सर्वोदय उच्च विद्यालय को अपग्रेड करके प्लस टू बना दिया गया है। इंटर के तीना संकायों में 256-256 सीट है। इस विद्यालय में 1500 छात्र-छात्रा है। कुल 36 शिक्षकों की जगह पर मात्र सात शिक्षक हैं। कई शिक्षक प्रत‍िनियुक्‍त‍ि पर हैं। बिना शिक्षक के छात्र कोचिंग के सहारे अपना भविष्‍य गढ़ रहे है। 

शौचालय, गैस, पेंशन की  स्थिति-

केंद्र सरकार की योजनाओं में लूट मची है। सतबरवा प्रखंड ओडीएफ हो चुका है। पर दस पंचायतों में दो हजार से अधिक घरो में शौचालय नहीं बना है। गैस कनेक्‍शन वितरण में गड़बड़ी हुई है। नाम किसी का और गैमिल रहा किसी और को। पेंषन के लिए तीन दिवसीय कैंप लगाया गया था, ताकि वृद्ध को पेंषन मिल सके, पर हाजारों लोगों आज ऐसे ही पेंषन की आस में भटक रहे है। जबकि जिन्हे पूर्व से पेंषन मिलता रहा है, उन्हें भी किसी को पांच तो किसी को दो माह से नहीं मिल पा रहा है।  हाट बाजार में शौचालय निर्माण की मांग को लेकर विभिन्न राजनीतिक पार्टि‍यां  वर्षों से  मांग करती रहीं। इसके बाद  शौचालय एक किलो मीटर दूर शिक्षक ट्रेनिंग कालेज के पास बनाया जा रहा है।

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