नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: देश की सबसे बड़ी और सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली जेल तिहाड़ (Tihar Jail ) एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। ताजा खुलासे में सामने आया है कि जेल के अंदर एक वसूली रैकेट सक्रिय था, जिसमें कैदियों को सुविधाएं मुहैया कराने के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही थी। सबसे गंभीर बात यह है कि इस रैकेट में जेल अधिकारियों और बंदियों की मिलीभगत की बात सामने आ रही है।
सुप्रीम कोर्ट सख्त
ह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब दिल्ली हाई कोर्ट ( Delhi High Court ) के निरीक्षण न्यायाधीश ने सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में तिहाड़ जेल के संचालन में गंभीर अनियमितताओं और आपराधिक गतिविधियों का उल्लेख किया गया था। रिपोर्ट में इस बात के प्रमाण मिले कि जेल के अंदर भ्रष्टाचार संगठित रूप से चलाया जा रहा था। रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश डीके. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने तत्काल संज्ञान लेते हुए सीबीआई को प्रारंभिक जांच का आदेश दिया है। साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट निर्देश दिया है कि जांच रिपोर्ट 11 अगस्त, 2025 तक अदालत में प्रस्तुत की जाए।
CBI को तीन महीने का समय
चूंकि मामला मई की शुरुआत में सामने आया है, लिहाजा CBI को लगभग तीन महीने का समय मिला है, जिससे वह स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से तथ्यों की जांच कर सके। हाई कोर्ट ने केवल CBI को ही नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को भी एक प्रशासनिक जांच का जिम्मा सौंपा है। उन्हें यह देखना है कि तिहाड़ जेल के अधिकारियों द्वारा किस प्रकार की प्रशासनिक और पर्यवेक्षी लापरवाहियाँ हुई हैं, जिनकी वजह से यह रैकेट पनप सका।
जेल के भीतर सुविधाओं के लिए होती थी वसूली
कोर्ट को यह भी बताया गया कि जेल परिसर के भीतर बंदियों को कुछ विशेष सुविधाएं – जैसे मोबाइल फोन, बाहर से खाना, मुलाकात की विशेष छूट आदि – देने के लिए मोटी रकम वसूली जाती थी। यह सुविधा शुल्क कथित रूप से जेल अधिकारियों के इशारे पर कैदियों से लिया जा रहा था। कई मामलों में यह वसूली लाखों रुपये तक पहुंच जाती थी।
पिछले कुछ सालों से विवादों में तिहाड़
गौरतलब है कि तिहाड़ जेल पिछले कुछ वर्षों से लगातार विवादों में घिरी रही है। कई बड़े अपराधियों के पास से मोबाइल फोन बरामद हुए हैं, और जेल के भीतर आपराधिक नेटवर्क सक्रिय होने की खबरें भी आ चुकी हैं। हाल ही में कुछ मामलों में जेल से ही अपराधियों के नेटवर्क द्वारा रंगदारी मांगे जाने की बातें सामने आई थीं। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के हाथों में है। अगर जांच में आरोप सिद्ध होते हैं, तो कई जेल अधिकारी, कर्मचारी और कैदी कठघरे में आ सकते हैं। साथ ही, जेल प्रशासन की जवाबदेही तय की जाएगी और सुरक्षा तथा निगरानी व्यवस्था पर भी सवाल खड़े होंगे।