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"न्याय की गुहार: बेरोजगार शिक्षकों का संघर्ष जारी"

कोलकाता में 2016 SSC परीक्षा पास कर नौकरी पाने वाले शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बेरोजगार हो गए। अब वे शिक्षा भवन के बाहर बहाली की मांग कर रहे हैं। क्या सरकार उनकी सुन रही है?

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Ajit Kumar Pandey
WEST BENGAL PROTEST TEACHERS TODAY
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । 2016 में पास की परीक्षा, पाई थी नौकरी... फिर सब छिन गया। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने सैकड़ों सपनों को तोड़ दिया। अब शिक्षा भवन के बाहर अपनी बहाली के लिए डटे हैं ये शिक्षक। इनकी आंखों में आंसू हैं, लेकिन हौसले में कोई कमी नहीं। सवाल बस एक है — क्या सरकार फिर से इनकी सुनेगी?

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शिक्षकों का आंदोलन: नौकरी गई, पर उम्मीद बाकी है

कोलकाता में शिक्षा विभाग मुख्यालय के बाहर सैकड़ों पूर्व शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं। ये वो शिक्षक हैं जिन्होंने 2016 में स्कूल सेवा आयोग (SSC) की परीक्षा पास की थी, लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते इनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई। अब ये शिक्षक मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार उन्हें फिर से बहाल करने के लिए कानूनी कदम उठाए।

क्या है पूरा मामला?

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साल 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग ने शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए परीक्षा कराई थी। इस परीक्षा को पास कर कई उम्मीदवारों को स्कूलों में नियुक्ति मिली। लेकिन बाद में नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सवाल उठे और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने बीते महीने फैसला सुनाया कि इन नियुक्तियों में अनियमितता हुई है, इसलिए इन शिक्षकों की नौकरी रद्द कर दी जाए।

विकास भवन के बाहर प्रदर्शन

अब, अपनी नौकरी गंवा चुके ये शिक्षक कोलकाता के साल्ट लेक स्थित शिक्षा विभाग मुख्यालय, विकास भवन के बाहर लगातार धरना दे रहे हैं। इनमें से कई शिक्षक ऐसे हैं जो पिछले 6-7 साल से पढ़ा रहे थे और अब अचानक बेरोजगार हो गए हैं। उनकी मांग है कि सरकार उनके भविष्य के साथ न्याय करे और तुरंत बहाली के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करे।

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मानवता की दुहाई, सरकार से उम्मीद

शिक्षकों का कहना है कि वे किसी घोटाले का हिस्सा नहीं थे, उन्होंने ईमानदारी से परीक्षा दी और साक्षात्कार भी पास किया। उनके अनुसार गलती सिस्टम की थी, फिर सजा उन्हें क्यों दी जा रही है?

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"हमने मेहनत की थी, पढ़ाया है बच्चों को, अब हमें यूं बेरोजगार कर देना न्याय नहीं है," — एक प्रदर्शनकारी महिला शिक्षक ने कहा।

राजनीतिक चुप्पी पर उठ रहे सवाल

इस मुद्दे पर राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। विपक्षी दल इसे सरकार की विफलता बता रहे हैं और सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी #JusticeForTeachers ट्रेंड कर रहा है।

लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई...

शिक्षकों की आंखों में निराशा है, पर लड़ाई का जज्बा कायम है। वे रोज विकास भवन के बाहर आते हैं, तख्तियां लेकर खड़े होते हैं, सरकार से सिर्फ एक बात कहते हैं- "हमें हमारा हक वापस चाहिए।"

क्या आप इससे सहमत हैं? अपनी राय नीचे कमेंट करें।

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