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Abbas Ansari की विधायकी रहेगी या जाएगी, आज मऊ CJM कोर्ट सुनाएगा फैसला

मऊ कोर्ट में आज अब्बास और उमर अंसारी के खिलाफ भड़काऊ भाषण व आचार संहिता उल्लंघन के केस में फैसला आ सकता है। अगर दोषी साबित हुए, तो विधायक पद और राजनीतिक करियर पर संकट गहराएगा।

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Ajit Kumar Pandey
Abbas Ansari
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर बड़ा मोड़। अब्बास अंसारी और उमर अंसारी पर कानूनी शिकंजा कसता नजर आ रहा है। मऊ जिला न्यायालय में आज बेहद अहम फैसला सुनाया जाना है। भड़काऊ भाषण और चुनाव संहिता उल्लंघन का है गंभीर मामला। क्या विधायक की कुर्सी बचेगी? या बढ़ेगी मुश्किलें?

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मऊ जिला अदालत में आज सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के विधायक अब्बास अंसारी और उनके भाई उमर अंसारी के खिलाफ बड़ा फैसला आ सकता है। दोनों पर भड़काऊ भाषण देने और चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप है। अगर दोषी पाए गए, तो अब्बास की विधायकी खतरे में पड़ सकती है और राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं।

भड़काऊ भाषण और आचार संहिता उल्लंघन मामला—फैसले की घड़ी

मऊ जिले की अदालत में आज का दिन राजनीतिक नजरिए से बेहद अहम है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के चर्चित विधायक अब्बास अंसारी और उनके छोटे भाई उमर अंसारी के खिलाफ वर्षों पुराने मामले में फैसला सुनाया जा सकता है। यह मामला 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान का है, जब दोनों पर आचार संहिता के उल्लंघन और भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे थे।

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कौन हैं अब्बास और उमर अंसारी?

अब्बास अंसारी, माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे हैं, और मऊ से विधायक हैं। उनका नाम राजनीति में पहले से ही विवादों में रहा है। वहीं उमर अंसारी, उनके छोटे भाई हैं जो कई बार सार्वजनिक मंचों से बयान देकर सुर्खियों में रहे हैं।

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क्या है पूरा मामला?

आरोप है कि चुनाव प्रचार के दौरान अब्बास अंसारी ने ऐसे भाषण दिए जो साम्प्रदायिक तनाव फैला सकते थे। चुनाव आयोग ने इसे गंभीर मानते हुए मुकदमा दर्ज कराया। इसके साथ ही सार्वजनिक संपत्ति के दुरुपयोग और प्रशासन की अनुमति के बिना रैली करने का भी मामला बना।

कोर्ट में आज क्या हो सकता है?

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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आज सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुनाया जा सकता है। अगर दोनों को दोषी ठहराया गया, तो अब्बास अंसारी की विधायकी पर संकट आ सकता है और उमर अंसारी पर भी कानूनी कार्यवाही तेज हो सकती है।

राजनीतिक असर और संभावनाएं

अगर कोर्ट का फैसला कड़ा आता है तो सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को झटका लग सकता है, जो पहले से ही गठबंधन की राजनीति में कमजोर होती जा रही है। वहीं विपक्ष इस मुद्दे को सत्ता पक्ष के खिलाफ हथियार बना सकता है।

क्या है अब जनता की राय?

अब सवाल उठता है – क्या ऐसे नेताओं को चुनावी मंच से दूर नहीं किया जाना चाहिए? क्या आप मानते हैं कि कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए?

क्या आप इससे सहमत हैं? नीचे कमेंट करके अपनी राय जरूर दें। court 

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