लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसी उद्देश्य से छुट्टा गोवंश के संरक्षण और पशुपालकों को सहयोग देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। हाल ही में प्रस्तुत बजट में सरकार ने गोवंश संरक्षण के लिए दो हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसके अलावा, अमृत धारा योजना के तहत दो से दस गाय पालने वाले किसानों को दस लाख रुपये तक का ऋण आसान शर्तों पर उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना में तीन लाख रुपये तक के अनुदान के लिए किसी गारंटर की आवश्यकता नहीं होगी।
प्राकृतिक खेती से पर्यावरण और किसानों को लाभ
सरकार की प्राथमिकता जन, जल और जमीन की सेहत सुधारना है, जिसका एक प्रमुख समाधान प्राकृतिक खेती है। इस पारंपरिक कृषि प्रणाली में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय गोबर और गौमूत्र से बने जैविक खाद व कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से भी लाभ होगा। गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार इनके उत्पादों के व्यावसायिक उपयोग को भी प्रोत्साहित कर रही है। सरकार लगातार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर जोर दे रहे हैं। गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों और बुंदेलखंड में इस पद्धति को अपनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अब इसमें स्थानीय नदियों को भी शामिल किया जा रहा है ताकि अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके।
निर्यात को मिलेगा बढ़ावा
कोरोना महामारी के बाद वैश्विक स्तर पर ऑर्गेनिक और प्राकृतिक कृषि उत्पादों की मांग बढ़ी है। इससे किसानों को अच्छे दाम मिल सकते हैं। भारत सरकार भी कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दे रही है। उत्तर प्रदेश के निर्यात आंकड़ों पर नजर डालें तो 2017-18 में यह 88 हजार करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में बढ़कर 170 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। ऐसे में प्राकृतिक खेती किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है।
गोवंश संरक्षण के लिए गौशालाएं स्थापित की गई
प्रदेश में निराश्रित गोवंश के संरक्षण के लिए गौशालाएं स्थापित की गई हैं, जहां इनके भरण-पोषण के लिए धनराशि प्रदान की जाती है। सरकार का लक्ष्य है कि गौशालाएं आत्मनिर्भर बनें, जिसके लिए गोबर और गौमूत्र के व्यावसायिक उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मनरेगा के तहत पशुपालकों को सस्ती दरों पर कैटल शेड, पशु बाड़े और गोबर गैस संयंत्र लगाने की सुविधा दी जा रही है। मिनी नंदिनी योजना के माध्यम से भी गोवंश संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसमें कई प्रकार के अनुदान दिए जा रहे हैं।