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Pahalgam Terror Attack : तीस साल में पहली बार बंद हुआ कानपुर का रहमानी मार्केट, व्यापारी बोले- आतंकियों को मिले सख्त सजा

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों द्वारा की गई सैलानियों की हत्या से जहां पूरे देश में गम और गुस्से का माहौल है। वहीं कानपुर के मुस्लिम भी इस घटना से आहत होकर बहुत आक्रोश में है।

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Saras Bajpai
कानपुर का रहमानी मार्केट में बंदी

कानपुर में तीस साल में पहली बार रहमानी मार्केट पूरी तरह से बंद रहा। Photograph: (वाईबीएन)

कानपुर। वाईबीएन संवाददाता (Kanpur news)

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जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों द्वारा की गई सैलानियों की हत्या से जहां पूरे देश में गम और गुस्से का माहौल है। वहीं कानपुर के मुस्लिम भी इस घटना से आहत होकर बहुत आक्रोश में है। गुरूवार को कानपुर के मुस्लिम क्षेत्र के अधिकांश व्यापारियों ने दुकानें बंद रखी। इस क्षेत्र की प्रमुख रहमानी मार्केट में करीब तीन दशक बाद पूरी तरह बंदी हुई। बेकनगंज बाजार हो या तलाक महल खाने पीने की दुकानें मेडिकल स्टोर के अलावा अधिकांश दुकानें दोपहर दो बजे तक बंद रखी गयी। मुस्लिम व्यापारियों ने पहलगाम घटना की निंदा करते हुए कहाकि ऐसी घटना करने वालो को उनकी ही भाषा में जवाब दिया जाना चाहिए। 

पहले नही देखी गयी ऐसी बंदी

मुस्लिम क्षेत्र में रहने वालो तथा आम व्यापारियों की मानी जाये तो कश्मीर के पहलगाम घटना के बाद आज जिस तरह की बंदी मुस्लिम इलाकों में देखी गयी वैसी पिछले कई सालों में नही देखी गयी। सुबह से दुकानदार अपनी दुकानों को खोलने के लिए पहुंचे ही नही। दोपहर एक बजे तक पूरी बाजार लगभग बंद थी। जो व्यापारी पहुंचे भी वह बंद दुकानों के बाहर ही पहलगाम में हुई घटना की चर्चा निंदा करते रहे। अधिकांश का मानना था कि इस आतंकी घटना की जितनी भी निंदा की जाये कम है। ऐसा करने वाले कोई भी जो उन्हें जल्द सजा मिलनी चाहिए। 

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कई साल बाद बंद हुई रहमानी मार्केट की एक एक दुकान

कानपुर के घने मुस्लिम इलाके में स्थित रहमानी मार्केट को मुस्लिम क्षेत्र की सबसे प्रमुख मार्केट में एक माना जाता है। रहमानी मार्केट व्यापार मणडल के अध्यक्ष हाजी लड्डन का कहना था कि कई साल बाद ऐसा हुआ है कि जब व्यापारियों ने स्वैछा से इस मार्केट की एक एक दुकान बंद की हो। रहमानी मार्केट वह मार्केट है जिसमें सामान्य दिनों में सुबह ग्यारह से देर रात्रि तक खरीददारों की भीड़ रहती है। यहां इलेक्ट्रानिक सामान व कपड़े आदि कि खरीददारी करने के लिए शहर के कई हिस्सों से लोग आते है।

 

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दूसरी बार हुई किसी घटना के विरोध में बंदी

मुस्लिम क्षेत्र के व्यापारियों की मानी जाये तो वर्षो पुरानी रहमानी मार्केट में दूसरी बार ऐसा हुआ है जब किसी घटना के विरोध में व्यापारियों ने स्वैच्छा से दुकाने बंद किए है। पहली बार नब्बे के दशक में छात्र नेता श्याम सिंह की हत्या के मामले में पुलिस द्वारा एक व्यक्ति के घर छापेमारी करने के बाद जब उस व्यक्ति की मौत हो गयी थी तो उसके विरोध में यहां के व्यापारियों ने स्वैच्छा से दुकाने बंद की थी। अब जब पहलगाम में आतंकियों ने सैलानियों को मौत की घाट उतारा तो उससे आक्रोशित होकर व्यापारियों ने अपनी दुकाने बंद की।

कुछ यूं व्यापारियों ने रखी अपनी बात

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  • व्यापारी साहिल खान ने कहा कि पहलगाम में हुई घटना को काला दिवस के रूप में मनाने को लेकर मार्केंट बंदी की गई है। यह फैसला हम सभी दुकानदारों ने मिलकर लिया है, बाद में व्यापार मंडल ने दुकान बंदी करने की जानकारी दी। 
    व्यापारी मोहम्मद सलीम ने कहा कि पहलगाम में हुई घटना की निंदा करते हुए पूरी मुस्लिम मार्केट बंद की गई है, ये मजम्मत की जाती है कि जो हुआ है वो गलत हुआ है। घटना को अंजाम देने वालों को उसी तरह से सजा मिलनी चाहिये, जैसा उन्होंने किया है।
  • दुकानदार मोहम्मद अकील ने कहा कि कश्मीर जो हुआ है उसके विरोध में बाजार बंद किया गया है। हम लोग घोर निंदा करते हैं, जिन लोगों ने ये हमला किया है उन्हें सख्त सख्त से सजा मिलनी चाहिये। 
  • व्यापारी हाजी लड्डन ने कहा कि कश्मीर में आतंकवादियों ने जो हरकत की है, उसके विरोध में व्यापार मंडल रहमानी मार्केट बंद किया गया है। घटना की जितनी भी निंदा की जाए वो कम है, समाज के अंदर ऐसे कृत्य के लिए कोई गुंजाइश ही नहीं है। जिन लोगों ने ये कृत्य किया है, उनको सख्त से सख्त सजा जल्द मिलनी चाहिये।

 

 

Kanpur News
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