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अयोध्या राम मंदिर में NASA जैसी तकनीक! टाइटेनियम कवच का रहस्य खुद नृपेंद्र मिश्रा ने खोला

अयोध्या के राम मंदिर में पहली बार खिड़कियों की ग्रिल में टाइटेनियम धातु का उपयोग, जो 1000 साल से अधिक जीवनकाल देगा! यह मंदिर को सदियों तक सुरक्षित रखने वाला गुप्त कवच है। जानें कैसे आधुनिक विज्ञान और आस्था का संगम हो रहा।

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Ajit Kumar Pandey
अयोध्या राम मंदिर की निर्माणाधीन संरचना, जिसमें मंदिर की खिड़कियों के पास टाइटेनियम ग्रिल लगी हुई है | यंग भारत न्यूज

अयोध्या में निर्माणाधीन भव्य राम मंदिर, जहां टाइटेनियम धातु का उपयोग एक हजार साल तक मंदिर की मजबूती सुनिश्चित करेगा | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।अयोध्या में बन रहा भव्य राम मंदिर सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना भी है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने हाल ही में बताया कि कैसे मंदिर की खिड़कियों की ग्रिल में टाइटेनियम धातु का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह एक ऐसा कदम है जो मंदिर को सदियों तक अक्षुण्ण रखने का गुप्त कवच प्रदान करेगा। क्या आप जानते हैं, ऐसा पहली बार हो रहा है?

राम मंदिर निर्माण से जुड़ी हर खबर लाखों लोगों के लिए कौतूहल का विषय है, और यह नई जानकारी तो बेहद खास है। नृपेंद्र मिश्रा के अनुसार, भारत में पहली बार किसी मंदिर की खिड़कियों की ग्रिल में टाइटेनियम धातु का उपयोग किया जा रहा है। यह निर्णय कोई साधारण नहीं, बल्कि गहन सोच-विचार का परिणाम है।

टाइटेनियम अपनी असाधारण विशेषताओं के लिए जाना जाता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी लंबी उम्र है। नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि यह धातु एक हजार साल से भी अधिक समय तक टिक सकती है। जरा सोचिए, एक ऐसी संरचना जो सदियों तक अपनी मजबूती और चमक बनाए रखेगी!

लेकिन सिर्फ लंबी उम्र ही क्यों? टाइटेनियम एक और महत्वपूर्ण कारण से चुना गया है: यह अन्य धातुओं की तुलना में काफी हल्का होता है। मंदिर की विशाल संरचना पर अनावश्यक भार डाले बिना, यह उसे अभूतपूर्व मजबूती प्रदान करेगा। यह आधुनिक इंजीनियरिंग का कमाल है जो हमारी प्राचीन विरासत के साथ जुड़ रहा है।

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बंसी पहाड़पुर का पत्थर: प्रगति की एक और निशानी

टाइटेनियम के इस्तेमाल के साथ-साथ, मंदिर निर्माण कार्य में भी तेजी से प्रगति हो रही है। नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि मंदिर और परकोटा में लगभग 14 लाख क्यूबिक फीट बंसी पहाड़पुर के पत्थर का उपयोग किया जाना था। अब इसमें से केवल एक लाख क्यूबिक फीट पत्थर का ही उपयोग होना बाकी है।

यह आंकड़ा दर्शाता है कि निर्माण कार्य कितनी कुशलता और तेजी से आगे बढ़ रहा है। बंसी पहाड़पुर का गुलाबी पत्थर अपनी सुंदरता और मजबूती के लिए प्रसिद्ध है, और यह राम मंदिर को एक अद्वितीय भव्यता प्रदान कर रहा है। हर गुजरते दिन के साथ, राम मंदिर अपने अंतिम स्वरूप की ओर बढ़ रहा है।

क्यों है टाइटेनियम इतना खास?

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टाइटेनियम एक ऐसा धातु है जो अपनी मजबूती, हल्केपन और संक्षारण प्रतिरोध के लिए जाना जाता है।

अविश्वसनीय मजबूती: स्टील से भी अधिक मजबूत होने के बावजूद, यह काफी हल्का होता है।

संक्षारण प्रतिरोधी: हवा, पानी और विभिन्न रसायनों से यह आसानी से खराब नहीं होता, जिससे इसकी उम्र बहुत लंबी हो जाती है।

उच्च तापमान सहनशीलता: यह उच्च तापमान को भी आसानी से झेल सकता है।

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जैव-संगतता: यही कारण है कि इसका उपयोग चिकित्सा उपकरणों और प्रत्यारोपण में भी किया जाता है।

मंदिर जैसे दीर्घकालिक प्रोजेक्ट के लिए, जहां हजारों सालों की विरासत को सुरक्षित रखना है, टाइटेनियम का चुनाव एक दूरदर्शी कदम है। यह सुनिश्चित करता है कि आने वाली पीढ़ियां भी इस भव्य स्मारक को उसी रूप में देख सकेंगी जैसा आज हम देख रहे हैं।

निर्माण में पारदर्शिता और गुणवत्ता का संगम

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निर्माण समिति लगातार निर्माण कार्य की प्रगति और इस्तेमाल की जा रही सामग्रियों की गुणवत्ता को लेकर पारदर्शिता बनाए हुए है। नृपेंद्र मिश्रा जैसे अनुभवी विशेषज्ञों की देखरेख में, मंदिर का हर पहलू पूर्णता और उत्कृष्टता के साथ तैयार किया जा रहा है। यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारतीय शिल्प कौशल और आधुनिक इंजीनियरिंग का एक जीता-जागता उदाहरण बन रहा है।

यह मंदिर न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक होगा, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा। इसमें इस्तेमाल की जा रही हर सामग्री, चाहे वह बंसी पहाड़पुर का पत्थर हो या आधुनिक टाइटेनियम, एक कहानी कहती है - धैर्य, समर्पण और अटूट विश्वास की कहानी।

इस अद्भुत निर्माण कार्य पर आपका क्या नजरिया है? क्या आप मानते हैं कि टाइटेनियम का उपयोग राम मंदिर को और भी खास बनाता है? अपने विचार नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें।

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