/young-bharat-news/media/media_files/2025/07/08/bijnor-breaking-news-2025-07-08-14-01-01.jpg)
Bijnor News : मगरमच्छ ने मचाया कोहराम, ग्रामीणों ने दिखाई ऐसी बहादुरी कि वन विभाग भी हैरान | यंग भारत न्यूज Photograph: (यंग भारत न्यूज)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बिजनौर के चाहड़वाला गांव में आज मंगलवार 8 जुलाई 2025 की सुबह उस वक्त हड़कंप मच गया जब गंगा नदी से निकलकर एक विशाल मगरमच्छ गांव की धर्मशाला में जा घुसा। इस अप्रत्याशित घटना से पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई, लेकिन ग्रामीणों ने हिम्मत दिखाते हुए न सिर्फ मगरमच्छ को काबू किया बल्कि घंटों वन विभाग का इंतजार करने के बाद खुद ही उसे वापस नदी में छोड़ दिया। यह घटना वन विभाग की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े करती है और वन्यजीवों व इंसानों के बीच बढ़ते संघर्ष को उजागर करती है।
मंगलवार की सुबह बिजनौर जिले के मंडावर थाना क्षेत्र में स्थित चाहड़वाला गांव के लोग अपने रोजमर्रा के कामों में लगे थे। अचानक एक खबर बिजली की तरह पूरे गांव में फैल गई – "धर्मशाला में मगरमच्छ घुस गया है!" यह सुनकर लोगों की सांसें थम गईं। एक पल के लिए डर का माहौल छा गया, क्योंकि किसी ने सोचा भी नहीं था कि गंगा नदी से निकलकर कोई इतना बड़ा वन्यजीव उनके इतने करीब आ जाएगा। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई इस खबर से अचंभित था।
ग्रामीणों का साहस: जब वन विभाग ने किया निराश
मगरमच्छ की सूचना मिलते ही गांव के आस-पास के लोग मौके पर जमा हो गए। डर के बावजूद, ग्रामीणों ने गजब का साहस दिखाया। लाठी-डंडों से लैस होकर वे मगरमच्छ की ओर बढ़े और चतुराई से उसे घेर लिया। कड़ी मशक्कत के बाद, उन्होंने किसी तरह मगरमच्छ को काबू किया और उसे रस्सी से बांध दिया। यह वाकई काबिले तारीफ था कि बिना किसी विशेषज्ञ उपकरण या प्रशिक्षण के, ग्रामीणों ने इतनी बड़ी चुनौती का सामना किया।
मगरमच्छ को काबू करने के बाद, ग्रामीणों ने तुरंत वन विभाग को इसकी सूचना दी। घंटों बीत गए, लेकिन वन विभाग की टीम मौके पर नहीं पहुंची। ग्रामीणों का इंतजार बढ़ता जा रहा था और साथ ही उनकी चिंता भी, क्योंकि एक बंधा हुआ मगरमच्छ किसी के लिए भी खतरा हो सकता था। विभाग की इस लापरवाही ने ग्रामीणों को निराश कर दिया।
जब ग्रामीणों ने खुद संभाली कमान: मगरमच्छ की घर वापसी
कई घंटों के इंतजार के बाद, जब वन विभाग से कोई मदद नहीं मिली, तो ग्रामीणों ने खुद ही स्थिति संभालने का फैसला किया। उन्होंने समझा कि अब उन्हें ही मगरमच्छ को सुरक्षित रूप से वापस नदी में छोड़ना होगा। एकजुट होकर, उन्होंने मगरमच्छ को सावधानीपूर्वक उठाया और उसे गंगा नदी में वापस छोड़ दिया। यह घटना न केवल ग्रामीणों के साहस को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि जब सरकारी एजेंसियां विफल होती हैं, तो आम लोग किस तरह से जिम्मेदारी उठाते हैं।
वन विभाग पर उठे गंभीर सवाल और उनकी सफाई
इस घटना के बाद, स्थानीय लोगों ने वन विभाग पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि वन्यजीवों से जुड़ी ऐसी घटनाओं में विभाग को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, खासकर जब जानवरों और इंसानों दोनों की जान को खतरा हो। ग्रामीणों में आक्रोश साफ देखा जा सकता था।
वहीं, वन विभाग के अधिकारियों ने इस पर अपनी सफाई देते हुए कहा कि बरसात के मौसम में गंगा नदी में पानी का स्तर बढ़ने से वन्यजीव अक्सर आबादी वाले क्षेत्रों में घुस आते हैं। उन्होंने ग्रामीणों को सतर्क रहने और ऐसी स्थिति में विभाग को सूचित करने की सलाह दी, हालांकि इस विशेष घटना में उनकी देरी सवालों के घेरे में है। यह घटना दर्शाती है कि वन्यजीवों और मानव बस्तियों के बीच का संघर्ष लगातार बढ़ रहा है और इसके लिए बेहतर प्रबंधन और त्वरित प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।
जलवायु परिवर्तन और लगातार बढ़ते मानवीय अतिक्रमण के कारण वन्यजीव अपने प्राकृतिक आवासों से विस्थापित हो रहे हैं। बिजनौर की यह घटना एक छोटी सी बानगी है कि आने वाले समय में ऐसे मामले और बढ़ सकते हैं। ऐसे में, वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को मिलकर काम करने की जरूरत है।
त्वरित प्रतिक्रिया टीम: ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए एक त्वरित प्रतिक्रिया टीम का गठन किया जाए जो कम से कम समय में घटनास्थल पर पहुंच सके।
जागरूकता अभियान: ग्रामीणों को वन्यजीवों से निपटने और उन्हें सुरक्षित रूप से हटाने के तरीकों के बारे में शिक्षित किया जाए।
बेहतर समन्वय: वन विभाग और स्थानीय पुलिस के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जाए ताकि किसी भी आपात स्थिति में तेजी से कार्रवाई हो सके।
Bijnor News | Forest department response