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BJP नेत्री डॉ सरोजनी की बेटी बनी दलाल मंडली की कड़ी? मेरठ से Delhi तक BJP में मचा घमासान | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।वेस्ट यूपी के मेरठ में सीबीआई के छापे से पकड़ में आये 36 लोग बहुत ही हाई प्रोफाइल वाले हैं। एमबीबीएस कॉलेजों में सोरे बढ़वाने वाले नेटवर्क में भाजपा नेत्री डॉ सरोजनी अग्रवाल की बेटी डॉ शिवानी अग्रवाल भी इन रसूखदारों में शामिल है। जिनके खिलाफ भी सीबीआई ने मुकदमा तो कायम कर दिया है। लेकिन अपनी बेटी को जेल जाने से बचाने के लिए डॉ सरोजनी अग्रपात की भाजपा के नेताओं के यहां परिक्रमा जारी है।
उधर, भाजपा के लिए फजीहत कराने वाले पकड़ में आये 36 लोगों में कई करीबी भी हैं। अब देशभर की निगाहे इस केस पर टिकी हैं कि क्या इनपर कोई ठोस कार्रवाई हो पाएगी या फिर रसूखदारों पर कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति बनकर रह जायेगा। मेडिकल कॉलेज मान्यता घोटाले में सीबीआई ने जिन 35 लोगों को नामजद किया है, उनके नाम और प्रोफाइल चौंकाने वाले हैं।
बता दें कि देश के सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी नियामक संस्था यूजीसी के पूर्व चेयरमैन डीपी सिंह से इसकी शुरूआत होती है। जिस संस्था को देश में उच्च शिक्षा की शुचिता सुनिश्चित करनी चाहिए, यही से दलालों का सूत्र निकलता है। इसके बाद पकड़ में आये नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के संयुक्त निदेशक डॉ जीतू मीना। इनका काम सरकारी जिम्मेदारी के बीच निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए फर्जी मान्यता की सिफारिश करना पाया गया। खुद को संत कहने वाले कॉलेज बेयरमैन रविशंकर महाराज ने मेडिकल शिक्षा को कारोबार में बदल दिया।
एसआरईएमएसआर के डायरेक्टर अतुल कुमार तिवारी भी पकड़ में आए हैं। इनका काम निरीक्षण होम को मैनेज करने वाले संपर्क सूत्र का रहता है। कॉलेज के एकाउंटेंट, आर्थिक लेनदेन के रिकॉर्ड संभालने का लक्ष्मीनारायण चंद्राकर निभाते थे।
पकड़ में आये कॉलेज के अतिन कुडू प्रशासनिक अधिकारी जैसे रसूखदार पद पर हैं। कॉलेज नेटवर्क से जुड़ा फर्जी दस्तावेज और फैकल्टी का संयोजनकर्ता संजय शुक्ला भी सीबीआई की जद में आने से नहीं बच सका। इसके साथ ही डॉ पी. रजनी रेड्डी, डॉ सतीश ए., डॉ चैत्रा एम.एस., डॉ अशोक शेल्वे पकड़ में जाये। ये सभी एनएमसी निरीक्षण टीम के सदस्य थे, जिन्होंने रिपोर्ट तैयार की
धर्म की आड़ में घोटाले के धन का शुद्धिकरण
सीबीआई की चार्जशीट में अब एक और खुलासा हुआ है। सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक एक आरोपी ने घोटाले के पैसों से राजस्थान में एक भव्य मंदिर भी बनवाया। यानी धर्म की आड़ में घोटाले का धन शुद्धिकरण किया गया और बदले में मोटी रकम ली। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुभाग अधिकारी पीयूष माल्यान, अनुप जायसवाल, राहुल श्रीवास्तव, दीपक, मनीषा, धर्मवीर थे स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े अन्य अधिकारी हैं जिनको सीबीआई ने घेरे में लिया है।
सीबीआई की पकड़ में एनसीआर मेडिकल कॉलेज मेरठ की निर्देशक डॉ शिवानी का नाम आने से भाजपा की खासी किरकिरी हुई। डॉ शिवानी का नाम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ये तीन बार की विधान परिषद सदस्य और भारतीय जनता पार्टी की नेता डॉ. सरोजिनी अग्रवाल की बेटी हैं। यानि एक राजनीतिक परिवार की सदस्य इस पूरे मेडिकल माफिया गिरोह का हिस्सा पाई गईं।
इनके अलावा सीबीआई की जद में गीतांजलि यूनिवर्सिटी उदयपुर के रजिस्ट्रार मूमर राष, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज इंदौर के चेयरमैन सुरेश सिंह भौरिया, गायत्री मेडिकल कॉलेज विशाखापत्तनम के निदेशक वेकर, कोलंबो इंस्टीट्यूट करंगल के फादर जोसेफ कोमारेड्डी, स्वामीनारायण मेडिकल इंस्टिट्यूट गांधीनगर के स्वामी भक्तवत्सलदास, डॉ बी. हरिप्रसाद, डॉ अंकम रामबाबू, डॉ जोशी मैथ्यू, डॉ धरेंद्र कुमार भी आये।
सीबीआई की पकड़ में टेक इन्फो सॉल्यूशन्स के आर रणदीप भी आये, जिसने फर्जी दस्तावेज तैयार करने में तकनीकी मदद दी। कई कॉलेजों से संपर्क करने में कानपुर के उदित नारायण की भूमिका पाई गई। दाताली नेटवर्क के प्रमुखों में प्रदीप अग्रवाल तथा इंद्रचलन 'गुरु' प्रमुख थे। फर्जी फैकल्टी, दस्तावेज और ईटा एंट्री को जिम्मेदारी सुमीत मिश्रा, नरेंद्र साहू और मनीष जैन के सुपुर्द थी।
सीबीआई को इस चार्जशीट में कुल 36 लोग नामजद हैं, जिनमें अफसर, डॉक्टर, संत, नेताजी की बेटी और अन्य शामिल हैं।
इन पर मेडिकल कॉलेजों को फर्जी मान्यता दिलाने के लिए करोड़ों रुपये की घूस लेने, नकली दस्तावेज जमा करने और सिस्टम को भ्रष्ट करने के गंभीर आरोप हैं। अब सवाल यह है कि क्या ऐसे रसूखदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी? क्या मेडिकल शिक्षा को दलालों से आजाद किया जा सकेगा?
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