सीएम योगी ने की बाढ़ संबंधित परियोजनाओं की समीक्षा Photograph: (Social Media)
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में बाढ़ समस्या के स्थायी समाधान के लिए नदी की स्थानीय परिस्थितियों के अध्ययन के निर्देश दिए हैं। शुक्रवार को उन्होंने बाढ़ से संबंधित परियोजनाओं की समीक्षा बैठक की, जिसमें उन्होंने कहा कि प्रदेश में बाढ़ के नियंत्रण के लिए नदी की मुख्य धारा और आसपास के इलाकों की स्थिति का गहन अध्ययन जरूरी है। मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया, जहां नदी के मुख्य धारा में सिल्ट की अधिकता और उथलापन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इन क्षेत्रों में ड्रेजिंग कार्य को प्राथमिकता दी जाए और नदी का चैनलाइजेशन किया जाए ताकि पानी का प्रवाह सुचारु रूप से हो सके और बाढ़ की संभावना को कम किया जा सके।
सभी योजनाओं का कार्य समय से पूरा हो
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि ड्रेजिंग से समस्या का समाधान नहीं निकलता है, तो अन्य विकल्पों पर विचार किया जाए, जैसे तटबंधों का निर्माण या कटान निरोधी उपायों का कार्यान्वयन। उन्होंने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सभी योजनाओं का कार्य समय से पूरा हो और इन परियोजनाओं में किसी भी प्रकार की देरी न हो।
प्रदेश की सभी नदियों का ड्रोन सर्वेक्षण किया जाए
मुख्यमंत्री ने नदी और बाढ़ से संबंधित परियोजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग करने पर भी जोर दिया। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि प्रदेश की सभी नदियों का ड्रोन सर्वेक्षण किया जाए, ताकि नदी की वास्तविक स्थिति के बारे में पूरी जानकारी मिल सके और तदनुसार आवश्यक उपायों को लागू किया जा सके। इससे अधिकारियों को स्थानीय परिस्थितियों के बारे में अधिक सटीक जानकारी प्राप्त होगी और बाढ़ नियंत्रण के उपायों को और प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकेगा।
आधुनिकतम तकनीकों का उपयोग कर रोके बाढ़ के खतरे
मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रबंधन के संदर्भ में जन-जीवन की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात भी की। उन्होंने बताया कि पिछले आठ वर्षों में बाढ़ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए किए गए प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इसके तहत प्रदेश में बाढ़ की दृष्टि से अतिसंवेदनशील जिलों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेषज्ञों की सलाह पर आधुनिकतम तकनीकों का उपयोग करके बाढ़ के खतरे को न्यूनतम करने में सफलता मिली है। इसके साथ ही, बाढ़ से जन-जीवन की सुरक्षा के लिए विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय भी सुनिश्चित किया गया है।
60.45 लाख की आबादी को हुआ लाभ
प्रमुख सचिव सिंचाई ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि 2018-19 से अब तक 1575 बाढ़ परियोजनाएं पूरी की गई हैं, जिनमें से 305 परियोजनाएं अकेले वर्ष 2024-25 में पूरी की गई हैं। इस दौरान 4.97 लाख हेक्टेयर भूमि और 60.45 लाख की आबादी को लाभ हुआ है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि वर्तमान सत्र के लिए तय की गईं परियोजनाओं का अवशेष कार्य प्राथमिकता के आधार पर जल्द से जल्द पूरा किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि परियोजनाओं में देरी से न केवल कार्य प्रभावित होता है, बल्कि वित्तीय बजट भी बढ़ता है, इसलिए सभी कार्य समय सीमा के भीतर पूरे किए जाने चाहिए।
31 मार्च तक कराई जाए सभी ड्रेनों की सफाई
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में बाढ़ सुरक्षा के लिए काम कर रहे अधिकारियों को यह भी बताया कि प्रदेश में बाढ़ से सुरक्षा के लिए कुल 3869 किमी लंबाई वाले 523 तटबंध निर्मित हैं, साथ ही 60047 किमी लंबाई के 10727 ड्रेनों का भी निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि सभी तटबंधों की सतत निगरानी की जाए और सभी ड्रेनों की सफाई 31 मार्च तक कराई जाए ताकि बाढ़ के मौसम से पहले इन संरचनाओं की स्थिति बेहतर हो सके।
अति संवेदनशील और संवेदनशील जिलों की पहचान
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 24 अति संवेदनशील और संवेदनशील जिलों की पहचान भी की है। इनमें महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोण्डा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अम्बेडकर नगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी अति संवेदनशील श्रेणी में हैं। वहीं, सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज जिलों को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। इन जिलों में विभाग को विशेष रूप से अलर्ट मोड में रहना होगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि अति संवेदनशील और संवेदनशील तटबंधों का नियमित निरीक्षण किया जाए और इन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही न बरती जाए। मुख्यमंत्री ने अंत में यह भी कहा कि बाढ़ के नियंत्रण और राहत कार्यों के दौरान नदियों में अवैध खनन की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जाए, ताकि नदी के प्रवाह में कोई रुकावट न हो और बाढ़ की स्थिति और अधिक गंभीर न हो।