सीएम बोले समाजवादी से सनातनी हो गए नेता प्रतिपक्ष। Photograph: (Social Media)
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को विधानसभा के बजट सत्र के पांचवे दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह वह समय है जब सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों को अपनी जिम्मेदारी और भूमिका को समझते हुए देश और प्रदेश के विकास के बारे में विचार करना चाहिए।
पहले समाजवादी पार्टी और इसके नेता सनातन धर्म के खिलाफ—सीएम
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस चर्चा में सत्ता पक्ष से 98 और विपक्ष से 48 सदस्यों ने भाग लिया, कुल मिलाकर 146 सदस्यों ने अपनी-अपनी बात रखी। सीएम ने सपा के नेता पर निशाना साधते हुए कहा कि अब वे सनातन धर्म के पक्ष में खड़े हो गए हैं, जो कि एक स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले समाजवादी पार्टी और इसके नेता सनातन धर्म के खिलाफ थे, लेकिन अब उन्होंने अपने रुख में बदलाव किया है। यह बदलाव समाज के प्रति सम्मान और समर्पण का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने अपने पार्टी के सदस्यों को इस विषय पर उचित तरीके से समझाया और इसके महत्व को स्वीकार किया।
सपा सोशल मीडिया सेल की आलोचना
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर सपा के विचारों की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी का सोशल मीडिया सेल एक ऐसा माध्यम बन चुका है, जिसके जरिए वे लोकतंत्र और सभ्य समाज के सिद्धांतों के खिलाफ विचार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक शर्मनाक व्यवहार है, जिससे कोई भी सभ्य समाज आहत महसूस करता है। मुख्यमंत्री ने यह सवाल उठाया कि सपा के नेता संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं, लेकिन क्या वे उस संविधान के तहत कार्य करने का साहस रखते हैं, जिसका पालन अन्य संस्थाएं करती हैं? राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सदन में जो शोरगुल हुआ, उसकी भी मुख्यमंत्री ने आलोचना की। उन्होंने कहा कि अगर यह व्यवहार संवैधानिक है, तो असंवैधानिक व्यवहार क्या होगा? यह व्यवहार संविधान के प्रति उनके समझ और आदर्शों को दर्शाता है।
महात्मा बुद्ध, जैन तीर्थंकरों और सिख धर्म का सम्मान
मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि वे उन सभी महापुरुषों का सम्मान करते हैं जिन्होंने भारत में जन्म लिया, चाहे वे बौद्ध हों, जैन हों, सिख हों या किसी अन्य धर्म से संबंधित हों। उन्होंने विशेष रूप से महात्मा बुद्ध, जैन तीर्थंकरों और सिख गुरुओं के योगदान का उल्लेख किया और कहा कि उनकी सरकार बौद्ध और जैन तीर्थस्थलों के पुनर्निर्माण और सुंदरीकरण का कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि उनकी सरकार का उद्देश्य हर उस पंथ और परंपरा का सम्मान करना है, जो भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धारा का हिस्सा है। उन्होंने ने कहा कि भारतीय समाज की सबसे बड़ी ताकत उसकी धार्मिक विविधता है, और हर धर्म और परंपरा के प्रति सम्मान और सहयोग का भाव रखकर ही देश को एकता और अखंडता की दिशा में आगे बढ़ाया जा सकता है।
महाकुंभ में विश्वस्तरीय सुविधाएं, 63 करोड़ श्रद्धालु आयोजन का हिस्सा
मुख्यमंत्री ने महाकुंभ के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने सपा से सवाल किया कि जब महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर उनकी पार्टी ने आलोचना की थी, तब उन्हें यह क्यों नहीं समझ आया कि यह आयोजन इतने बड़े पैमाने पर क्यों सफल हो रहा है। मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि महाकुंभ में अगर विश्वस्तरीय सुविधाएं नहीं होतीं, तो 63 करोड़ श्रद्धालु इस धार्मिक आयोजन का हिस्सा नहीं बन पाते। उन्होंने सपा के नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि जब 2013 में वे महाकुंभ में नहीं जा पाए थे, तब उन्होंने इसकी व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए थे, लेकिन इस बार जब वे गए तो उन्होंने मुफ्त में दी गई सुविधाओं की सराहना की। यह दर्शाता है कि उन्होंने अब महाकुंभ की महत्ता और सरकार की व्यवस्थाओं को समझा है।
भारत की संस्कृति और धर्म की रक्षा का संकल्प
मुख्यमंत्री ने अंत में कहा कि उनकी सरकार हर उस पंथ और परंपरा का सम्मान करती है, जो भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धारा का हिस्सा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में गुरु गोविंद सिंह के चारों पुत्रों की शहादत को सम्मानित करने के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय भारत की संस्कृति और धर्म की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य सिर्फ सनातन धर्म को ही नहीं, बल्कि उन सभी धर्मों और पंथों को सशक्त बनाना है, जो भारत के गौरवशाली इतिहास और परंपराओं से जुड़े हुए हैं।