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Meerut News : MDA में भ्रष्टाचार का बोलबाला - कैसे सरतान बन गया 'किंगपिन'? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।मेरठ विकास प्राधिकरण (MDA) में भ्रष्टाचार का एक नया अध्याय सामने आया है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सरताज, जो लग्जरी गाड़ियों में घूमता था और अवैध निर्माणों से उगाही करता था, निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई MDA में फैले भ्रष्टाचार और अवैध कॉलोनियों के मकड़जाल को उजागर करती है, जहां बड़े पैमाने पर मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं। आइए जानते हैं कि एक चतुर्थ श्रेणी कर्मी सरताज कैसे बन गया भ्रष्टाचार का 'किंगपिन'?
मेरठ विकास प्राधिकरण एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर गया है। हाल ही में, MDA के एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सरताज को निलंबित कर दिया गया है, जिसने अपनी काली कमाई से न सिर्फ लग्जरी गाड़ियां खरीदीं, बल्कि कई अवैध निर्माणों को भी बढ़ावा दिया। यह घटनाक्रम MDA के भीतर चल रहे अवैध निर्माणों से उगाही के बड़े सिंडिकेट की पोल खोलता है। सवाल यह है कि कैसे एक चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी इतना प्रभावशाली हो गया कि वह खुलेआम अवैध कॉलोनियों को विकसित कराता रहा और उस पर किसी की नजर नहीं पड़ी?
यह कोई पहली बार नहीं है जब सरताज पर ऐसे आरोप लगे हों। सूत्रों के मुताबिक, वह पहले भी अवैध कच्ची कॉलोनियों को विकसित कराने में शामिल रहा है और उसने इन गतिविधियों से अकूत संपत्ति जमा की है। उसकी जीवनशैली, जिसमें महंगी गाड़ियों का काफिला शामिल था, हमेशा चर्चा का विषय रही, लेकिन उस पर कार्रवाई की हिम्मत कोई नहीं कर रहा था। यह दर्शाता है कि MDA में जड़ें कितनी गहरी हैं और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत के बिना ऐसे कारनामे संभव नहीं हैं।
लग्जरी गाड़ियां, अवैध उगाही: सरताज का 'विकास' मॉडल
सरताज का तरीका बेहद सीधा और प्रभावशाली था। वह लग्जरी गाड़ियों में घूमता था, जिससे लोगों पर उसके रुतबे का असर पड़ता था। वह अवैध निर्माणों को बढ़ावा देता था और बदले में मोटी रकम वसूलता था। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उसके प्रभाव के चलते, इन अवैध निर्माणों पर न तो कोई सील लगती थी और न ही कोई कार्रवाई होती थी। वह बिना किसी रोक-टोक के अवैध निर्माणों को तैयार करा देता था। यह MDA के कुछ अभियंताओं और अधिकारियों की खुली मिलीभगत के बिना संभव नहीं था।
अवैध कॉलोनियों का जाल: सरताज ने पूर्व जोन में राजा राजपूत और डॉ. अनिल शर्मा की अवैध कॉलोनियां और मार्केट तैयार कराई थीं।
जानी रोड पर खेल: जानी रोड पर दर्जनों अवैध निर्माण ग्रीन बेल्ट में धड़ल्ले से चल रहे थे। इन पर सिर्फ चालानी कार्रवाई की जाती थी, जिससे इन्हें तैयार होने का पूरा मौका मिल जाता था।
नरेंद्र शर्मा और बाबूलाल प्रजापति की कॉलोनी : जानी रोड पर नरेंद्र शर्मा और बाबूलाल प्रजापति की अवैध कॉलोनी भी मोटी रकम लेकर तैयार की जा रही थी।
यह सब खुलेआम चल रहा था और MDA प्रशासन इस पर आंखें मूंदे बैठा था। इस तरह के भ्रष्टाचार से न केवल सरकार को राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि आम जनता को भी असुरक्षित और अवैध कॉलोनियों में रहने को मजबूर होना पड़ता है।
भ्रष्ट अभियंताओं की मिलीभगत और एक कर्मचारी की मौत
इस पूरे खेल में भ्रष्ट अभियंताओं की मिलीभगत स्पष्ट रूप से दिख रही है। यह उनकी शह पर ही था कि सरताज जैसा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी इतनी बड़ी-बड़ी हेराफेरी करने में कामयाब रहा। दुखद बात यह है कि इन अवैध कच्ची कॉलोनियों में से एक में एक कर्मचारी की मौत भी हो चुकी है, जो इन निर्माणों की गुणवत्ता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यह घटना MDA में व्याप्त भ्रष्टाचार के भयावह परिणामों को दर्शाती है। यह सिर्फ पैसे के लेन-देन का मामला नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन के साथ खिलवाड़ भी है।
MDA को अब इस पूरे मामले की गहन जांच करनी चाहिए और न केवल सरताज जैसे छोटे मोहरों पर कार्रवाई करनी चाहिए, बल्कि उन सभी बड़े अधिकारियों और अभियंताओं को भी कटघरे में खड़ा करना चाहिए जिनकी मिलीभगत से यह सब चल रहा था। यह समय है जब MDA अपनी छवि सुधारे और जनता के विश्वास को फिर से बहाल करे।
सरताज के निलंबन से एक उम्मीद जगी है कि शायद अब MDA में सफाई अभियान शुरू होगा। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत होनी चाहिए। यह आवश्यक है कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए और दोषी पाए गए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। तभी जाकर मेरठ में अवैध निर्माणों पर लगाम लग पाएगी और MDA की छवि में सुधार आएगा। जनता को भी ऐसे मामलों पर नजर रखनी चाहिए और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
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