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आईपीएस ओपी सिंह ने महाकुंभ को लेकर साझा किये अपने विचार Photograph: (वाईबीएन)
हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के प्रमुख डीजी ओपी सिंह ने महाकुंभ 2025 में यूपी पुलिस के इंतजामों को खूब सराहा है। उन्होंने कहा कि एक पुलिस अधिकारी होने के नाते, मुझे हमेशा उन राज्यों की पुलिसिंग में रुचि रहती है जो बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। उत्तर प्रदेश उन्हीं में से एक है। कभी यह प्रदेश अपराध, माफिया और कमजोर कानून-व्यवस्था के लिए कुख्यात था, लेकिन हाल के वर्षों में इसने अपनी छवि पूरी तरह बदल ली है। महाकुंभ 2025 इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। ब प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हुआ, तो सबके मन में कई सवाल थे। इतनी भारी भीड़, सुरक्षा की जटिलताएँ, प्रशासनिक चुनौतियाँ क्या उत्तर प्रदेश पुलिस इसे संभाल पाएगी? लेकिन जो हुआ, वह ऐतिहासिक था। पूरे आयोजन में एक अनुशासित, संगठित और आधुनिक पुलिस बल देखने को मिला, जिसने इस भव्य आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न किया।
महाकुंभ की विराटता और चुनौतियां
महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जहां करोड़ों श्रद्धालु एक साथ एकत्र होते हैं। महाकुंभ में अनुमानित 40 से 65 करोड़ श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इतनी विशाल भीड़ को प्रबंधित करना किसी भी पुलिस बल के लिए एक कठिन परीक्षा होती है। भगदड़, सुरक्षा खतरे, ट्रैफिक अव्यवस्था, असामाजिक तत्वों की हरकतें, इन सभी को नियंत्रित करना किसी असाधारण क्षमता वाली पुलिस के ही वश की बात होती है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने सुरक्षा का सात-स्तरीय घेरा तैयार किया, जिसमें 57 स्थायी थाने, 13 अस्थायी थाने और 23 पुलिस चौकियाँ बनाई गईं। शहर में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति और वाहन की जांच सुनिश्चित की गई। इसके अलावा, पूरे आयोजन स्थल पर 50,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई, जो कई छोटे राज्यों की पूरी पुलिस शक्ति से भी अधिक थी ।
तकनीकी नवाचार और आधुनिक पुलिसिंग
इस आयोजन की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने पारंपरिक सुरक्षा उपायों से आगे बढ़कर तकनीकी नवाचारों का व्यापक उपयोग किया। पूरे मेले क्षेत्र में 2,751 CCTV कैमरे लगाए गए, जिनमें से 328 AI आधारित कैमरे थे। ये कैमरे न केवल हर गतिविधि पर नज़र रख रहे थे, बल्कि भीड़ के प्रवाह को भी मॉनिटर कर रहे थे, ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके।
संदिग्ध गतिविधियों पर आसमान से निगरानी रखी जा रही थी
इतना ही नहीं, पहली बार ड्रोन और ऐंटी-ड्रोन सिस्टम का उपयोग किया गया, जिससे संदिग्ध गतिविधियों पर आसमान से निगरानी रखी जा रही थी। यहाँ तक कि नदी के भीतर तक निगरानी के लिए अंडरवॉटर ड्रोन तैनात किए गए थे, जो किसी भी संभावित खतरे का पहले से पता लगा सकते थे।इन सबके अलावा, इंटीग्रेटेड कमांड और कंट्रोल सेंटर स्थापित किया गया था, जहां पुलिस और प्रशासन के अधिकारी रियल-टाइम डेटा के आधार पर भीड़ के प्रवाह, सुरक्षा की स्थिति और आपातकालीन जरूरतों को मॉनिटर कर रहे थे। इसी केंद्र से पुलिस बलों को निर्देश दिए जा रहे थे, जिससे समन्वय बेहतर हुआ और किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में त्वरित कार्रवाई संभव हुई।
संगठित अपराध और अराजकता पर कठोर प्रहार
उत्तर प्रदेश की पुलिसिंग में जो सबसे बड़ा बदलाव आया है, वह है संगठित अपराधियों और माफियाओं पर की गई कठोर कार्रवाई। एक समय था जब यह प्रदेश बाहुबलियों, गैंगस्टरों और माफियाओं के आतंक के लिए कुख्यात था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सरकार और पुलिस प्रशासन ने ज़ीरो-टॉलरेंस नीति अपनाई।2017 से 2023 के अंत तक 10,900 से अधिक ऑपरेशन चलाकर 23,000 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया । कई कुख्यात माफियाओं की अवैध संपत्तियाँ ज़ब्त की गईं, जिससे उनकी आर्थिक रीढ़ टूट गई। परिणामस्वरूप, प्रदेश में अपराध दर में भारी गिरावट आई। डकैती की घटनाएँ 80 प्रतिशत तक कम हो गईं, लूटपाट 61 प्रतिशत घट गई, जबकि हत्याओं में 32 प्रतिशत और आगजनी में 52 प्रतिशत की कमी आई ।सबसे दिलचस्प बदलाव यह था कि अपराधियों में पुलिस का डर लौट आया। कई मामलों में तो कुख्यात अपराधियों ने स्वयं थाने में आकर आत्मसमर्पण किया।
पुलिस बल का आधुनिकीकरण
उत्तर प्रदेश पुलिस का कायाकल्प केवल अपराधियों पर कार्रवाई तक सीमित नहीं रहा। पुलिस बल को अधिक संगठित, प्रशिक्षित और आधुनिक बनाया गया।पिछले छह वर्षों में 1.5 लाख से अधिक नई भर्तियाँ की गईं, जिससे पुलिस की संख्या और कार्यक्षमता बढ़ी। खासतौर पर, महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए ठोस प्रयास किए गए। प्रत्येक थाने में महिला हेल्पडेस्क की स्थापना की गई।इसके साथ ही, पुलिस कर्मियों को आधुनिक तकनीक और नए कानूनों की जानकारी देने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए गए। UP-112 सेवा को उन्नत किया गया, जिससे पुलिस की प्रतिक्रिया समय तेजी से सुधर गया। अब किसी भी आपात स्थिति में पुलिस की गाड़ियाँ मिनटों में मौके पर पहुँचती हैं।
जनभागीदारी और सामुदायिक पुलिसिंग
उत्तर प्रदेश पुलिस ने यह समझ लिया है कि जनता का सहयोग अपराध नियंत्रण में सबसे बड़ी ताकत बन सकता है। इसी सोच के तहत, C-Plan ऐप की शुरुआत की गई, जिसके जरिए हर गाँव और कस्बे से 10 नागरिकों को सीधे पुलिस से जोड़ा गया। महाकुंभ में भी इसी मॉडल को अपनाया गया। हजारों स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया गया और उन्हें पुलिस प्रशासन का हिस्सा बनाया गया। इन स्वयंसेवकों ने श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन देने, यातायात प्रबंधन में मदद करने और खोए हुए लोगों को उनके परिवारों से मिलाने में पुलिस का सहयोग किया।
महाकुंभ 2025 से अन्य राज्यों को क्या सीख मिलती है?
महाकुंभ 2025 का सफल आयोजन इस बात का प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश पुलिस अब पूरी तरह सक्षम, संगठित और आधुनिक बन चुकी है। इस सफलता से उन राज्यों को कई सबक मिलता है जो अभी भी अपराध, अव्यवस्था और कमजोर पुलिसिंग से जूझ रहे हैं।सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपराध पर नियंत्रण के लिए सख्त राजनीतिक इच्छाशक्ति और निष्पक्ष कार्रवाई आवश्यक है। इसके अलावा, तकनीक का उपयोग, पुलिस बल का आधुनिकीकरण, जवाबदेही और जनसहभागिता पर बल देना उतना ही ज़रूरी है।उत्तर प्रदेश का यह मॉडल दिखाता है कि अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो किसी भी राज्य की कानून-व्यवस्था को सुधारा जा सकता है।महाकुंभ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन की सफलता नहीं है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश पुलिस के नए स्वरूप और उसकी कार्यकुशलता का जीवंत प्रमाण है। यह उन सभी राज्यों के लिए एक प्रेरणा है जो अपने कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाना चाहते हैं।