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14 साल में बना ऐसा गोंद, जो जोड़ देगा टूटी हड्डियां – जानें कैसे करता है काम?

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) बरेली ने जानवरों की हड्डियों को जोड़ने के लिए एक क्रांतिकारी 'बोन ग्लू' विकसित किया है। यह 'चमत्कारी गोंद' छोटे और कमजोर जानवरों के लिए वरदान है, जो 14 साल के गहन शोध का परिणाम है।

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Ajit Kumar Pandey
14 साल में बना ऐसा गोंद, जो जोड़ देगा टूटी हड्डियां – जानें कैसे करता है काम? | यंग भारत न्यूज

14 साल में बना ऐसा गोंद, जो जोड़ देगा टूटी हड्डियां – जानें कैसे करता है काम? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), बरेली ने एक ऐसा अद्भुत बोन ग्लू विकसित किया है जो जानवरों की टूटी हड्डियों को जोड़ने में क्रांति ला सकता है। यह नया आविष्कार छोटे और कमजोर जानवरों के लिए वरदान साबित होगा, जिससे उन्हें दर्द से राहत मिलेगी और वे जल्द स्वस्थ हो पाएंगे।

बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) ने चिकित्सा विज्ञान में एक नया मील का पत्थर गाड़ दिया है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा बोन ग्लू (हड्डी जोड़ने वाला गोंद) विकसित किया है जो जानवरों की टूटी हड्डियों को जोड़ने में बेहद प्रभावी साबित होगा। यह अविष्कार खासकर उन छोटे जानवरों के लिए वरदान है जिनकी हड्डियों को परंपरागत तरीके से जोड़ना मुश्किल होता है।

इस चमत्कारी गोंद को बनाने में IVRI के वैज्ञानिकों को 14 साल की कड़ी मेहनत लगी है। सर्जरी विभाग की प्रमुख वैज्ञानिक रेखा पाठक के नेतृत्व में 2010 में इस परियोजना की शुरुआत हुई थी। उनका लक्ष्य था कि शरीर के ऊतकों (tissue) के विकल्प विकसित किए जाएं। इसी क्रम में उन्होंने इस बायोएक्टिव बोन ग्लू को भी बनाया है।

क्यों है यह गोंद इतना खास?

यह बोन ग्लू उन छोटे जानवरों के लिए बेहद उपयोगी है जिनका वजन 10 किलोग्राम से कम है या जिनकी हड्डियां पतली होती हैं। आमतौर पर, ऐसे जानवरों की हड्डियों को जोड़ने के लिए जटिल सर्जरी और धातु के इम्प्लांट की आवश्यकता होती है, जो महंगा और समय लेने वाला हो सकता है।

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सरल और प्रभावी: यह गोंद सर्जरी को आसान बनाता है और ठीक होने की प्रक्रिया को तेज करता है।

छोटे जानवरों के लिए वरदान: विशेष रूप से छोटे कुत्तों, बिल्लियों और अन्य पालतू जानवरों के लिए यह गेम-चेंजर साबित होगा।

सुरक्षित और बायोएक्टिव: इसे शरीर में किसी भी तरह की प्रतिकूल प्रतिक्रिया न देने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह हड्डियों के प्राकृतिक उपचार में मदद करता है।

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दर्द कम: यह परंपरागत तरीकों की तुलना में जानवरों के लिए कम दर्दनाक होता है।

वैज्ञानिक रेखा पाठक बताती हैं, "हमने 2010 में IVRI में एक प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट के तहत हमने सभी प्रकार के ऊतक विकल्प विकसित करने की कोशिश की। हमने बायोएक्टिव ग्लू विकसित किया है। IVRI में हमने कई चीजें ईजाद की हैं। बोन ग्लू छोटे जानवरों (जिनका वजन 10 किलो से कम है या जिनकी हड्डियां पतली हैं) के लिए बहुत उपयोगी है।"

शोध से जुड़ी खास बातें

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इस बोन ग्लू को विकसित करने की प्रक्रिया में कई वर्षों का शोध और परीक्षण शामिल था। वैज्ञानिकों ने विभिन्न सामग्रियों का परीक्षण किया ताकि एक ऐसा उत्पाद बनाया जा सके जो सुरक्षित, प्रभावी और जानवरों के शरीर के अनुकूल हो।

यह आविष्कार न केवल पशु चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा बल्कि पशु प्रेमियों के लिए भी राहत की खबर है। अब उनके प्यारे पालतू जानवरों को हड्डियों की चोट लगने पर बेहतर और तेज उपचार मिल सकेगा। यह IVRI बरेली की एक और बड़ी उपलब्धि है जो उनके शोध और विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

IVRI के इस बोन ग्लू का सफल विकास भविष्य में मानव चिकित्सा में भी इसके उपयोग की संभावनाओं को खोलता है। यदि यह गोंद जानवरों में इतना प्रभावी साबित होता है, तो भविष्य में मनुष्यों की हड्डियों के इलाज में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है, खासकर बच्चों या बुजुर्गों में जिनकी हड्डियां नाजुक होती हैं।

यह दर्शाता है कि भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान किस तेजी से आगे बढ़ रहा है और कैसे हमारे संस्थान वैश्विक स्तर पर नए आविष्कार कर रहे हैं। IVRI बरेली ने वास्तव में देश का नाम रोशन किया है। यह चमत्कारी गोंद पशु स्वास्थ्य सेवा में एक नई सुबह का प्रतीक है।

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