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अब सास भी उठा सकेगी घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज, Allahabad High Court का बड़ा फैसला

घरेलू हिंसा के खिलाफ अक्सर घर की बहूएं आवाज उठाती और कानूनी साहार लेते दिखाई देती हैं। क्योंकि अक्सर घर में बहू सास द्वारा प्रताड़ित होती है, लेकिन कई बार घरेलू हिंसा का शिकार होती है।

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Jyoti Yadav
आर्य समाज मंदिरों में हिंदू रीति-रिवाज से संपन्न विवाह Hindu Marriage Act के तहत वैध  Allahabad High Court
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प्रयागराज, वाईबीएन नेटवर्क | घरेलू हिंसा के खिलाफ अक्सर घर की बहूएं आवाज उठाती और कानूनी साहार लेते दिखाई देती हैं। क्योंकि अक्सर घर में बहू सास द्वारा प्रताड़ित होती है, लेकिन कई बार घरेलू हिंसा का शिकार होती है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या सास को अपने लिए आवाज उठाने का हक नहीं है। इस सवाल पर अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विराम लगा दिया है। हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि सास भी घरेलू हिंसा के खिलाफ के खिलाफ केस दर्ज करा सकती है। 

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बहूओं की सुरक्षा तक सीमित नहीं है कानून

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने इस फैसले में स्पष्ट तौर पर कहा कि कानून सिर्फ बहूओं की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, सास भी इस कानून के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है। बता दें, कोर्ट का ये फैसला तब आया जब एक सास ने अपनी बहू के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया और बहू ने इस पर आपत्ति जताते हुए निचली अदालत के समन को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

क्या सास मामला दर्ज करा सकती है ?

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 सुनवाई को दौरान यह भी सवाल उठा कि क्या सास अपनी बहू के खिलाफ मामला दर्ज करा सकती है। तो जवाब है हां। हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि सास भी अपनी बहू के खिलाफ घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है। यह फैसला न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने दिया, जिन्होंने लखनऊ की एक निचली अदालत द्वारा बहू और उसके परिवार के खिलाफ जारी समन को सही ठहराया। 

क्या है पूरा मामला

दरअसल सास ने अपनी बहू पर आरोप लगाया कि वह अपने पति पर दबाव बना रही थी कि  वो ससुराल छोड़कर मायके आकर रहे। इसके अलावा बहू पर सास-ससुर से बदतमीजी करने और झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी देने का आरोप भी लगाया गया। बहू के वकील ने तर्क दिया कि ये शिकायत दरअसल बहू द्वारा दर्ज कराई गई दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामले का बदला लेने लिए की गई है। 

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दोनों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सास की शिकायत घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के अंतर्गत आती है। निचली अदालत द्वारा जारी समन वैध और उचित है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 2(f), 2(s) और धारा 12 को एक साथ पढ़ने पर ये स्पष्ट होता है कि साझा घर में रहने वाली कोई भी महिला, जो घरेलू रिश्ते में हो और उत्पीड़न का शिकार हो, वो पीड़ित महिला मानी जाएगी।

 

 

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