पीलीभीत, वाईबीएन नेटवर्क | पांच वर्षीय बच्ची के साथ दरिंदगी का शिकार होने के बाद भी सरकारी सिस्टम की लापरवाही ने दर्द को और गहरा कर दिया। घटना के बाद बच्ची को रात में जिला अस्पताल लाया गया, लेकिन मेडिकल जांच के लिए ज़रूरी डॉक्टर ड्यूटी से नदारद रहीं। बच्ची दर्द से कराहती रही और परिजन मदद के लिए भटकते रहे, लेकिन इलाज 11 घंटे बाद शुरू हो सका।
मंगलवार रात से बुधवार दोपहर तक, पीड़िता अस्पताल में भर्ती रही, मगर मेडिकल प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई। जानकारी के अनुसार, डॉ. स्वाति श्रीवास्तव को उस रात ड्यूटी पर होना था, लेकिन वह मौजूद नहीं थीं। अस्पताल प्रशासन की तरफ से भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई।
अस्पताल पहुंचकर स्थिति का जायज़ा लिया
सीएमएस डॉ. राजेश कुमार ने इस मामले में डॉ. स्वाति को नोटिस जारी कर अनुपस्थिति का कारण पूछा है। वहीं, राज्य महिला आयोग की सदस्य सुनीता सैनी ने अस्पताल पहुंचकर स्थिति का जायज़ा लिया। उन्होंने कहा कि ड्यूटी रजिस्टर में नाम दर्ज होने के बावजूद डॉक्टर का अनुपस्थित रहना बेहद गंभीर मामला है।
मेडिकल जांच टाल दी गई
बच्ची के पिता ने बताया कि उसे रात दो बजे अस्पताल लाया गया था, लेकिन कई बार पूछने पर भी यह स्पष्ट नहीं किया गया कि डॉक्टर कब आएंगी। एक घंटे की मशक्कत के बाद बच्ची को दर्द निवारक गोलियां दी गईं, लेकिन मेडिकल जांच टाल दी गई। सुबह होते ही परिजन सीएमओ और सीएमएस कार्यालय के चक्कर काटते रहे। दोपहर में एसपी अभिषेक यादव को जानकारी दी गई, जिनके हस्तक्षेप के बाद डॉक्टर मनीषा को बरखेड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से बुलाकर मेडिकल कराया गया।
अनुपस्थित डॉक्टर से जवाब मांगा गया
सीएमओ डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि अस्पताल में महिला चिकित्सकों की संख्या पर्याप्त है और डॉ. स्वाति की ड्यूटी निर्धारित थी। उनकी अनुपस्थिति की जानकारी मिलने पर सीएमएस को मामले की गंभीरता बताई गई थी। सीएमएस ने बताया कि अनुपस्थित डॉक्टर से जवाब मांगा गया है और रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस बीच, आरोपी वीरपाल की गिरफ्तारी के लिए पुलिस अधीक्षक ने चार टीमों का गठन किया है और मामले की जांच तेज़ कर दी गई है।
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