लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को डिजिटल युग के अनुरूप बनाने के लिए नई पहल करने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि प्रदेश की 22 हजार 700 ग्राम पंचायतों में पहले चरण में डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित की जाएगी। भविष्य में इसे राज्य की सभी ग्राम पंचायतों तक विस्तार दिया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण बच्चों को आधुनिक शिक्षा संसाधनों से जोड़ना और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना है।
ग्राम पंचायतों को सौंपी जाएगी लाइब्रेरी की जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान जोर देकर कहा कि शिक्षा में लगातार हो रहे बदलावों के साथ ग्रामीण बच्चों को डिजिटल संसाधनों तक सरल पहुंच उपलब्ध कराना आवश्यक है। इसके तहत ई-बुक्स, डिजिटल कंटेंट, ऑडियो-वीडियो लेक्चर जैसी सामग्रियों को आसानी से उपलब्ध कराया जाएगा। योजना के सुचारू संचालन के लिए ग्राम पंचायतों को ही लाइब्रेरी की देखरेख की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके तहत ग्राम प्रधान और सचिव इसकी निगरानी करेंगे, जबकि पंचायत स्तर पर सहायक अधिकारियों की भी तैनाती की जाएगी, जो लाइब्रेरी के रखरखाव और संचालन पर ध्यान देंगे।
प्रत्येक लाइब्रेरी के लिए चार लाख का बजट
सरकार प्रत्येक डिजिटल लाइब्रेरी के लिए चार लाख रुपये का बजट देगी। इसमें से 2 लाख रुपये डिजिटल उपकरणों (कंप्यूटर, प्रिंटर, इंटरनेट आदि) की खरीद पर और शेष 2 लाख रुपये अध्ययन सामग्री जैसे डिजिटल और हार्डकॉपी पुस्तकों के लिए खर्च किए जाएंगे। लाइब्रेरी में छात्रों को पाठ्यपुस्तकों के साथ अन्य विषयों पर आधारित ई-बुक्स और डिजिटल संसाधन भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके अलावा, ऑनलाइन लर्निंग और रिसर्च कार्यों के लिए हाई-स्पीड इंटरनेट की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। इस योजना से ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा मिलेगा। यह कदम 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान साबित होगा।