नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । संभल में 24 नवंबर 2024 को हुए हिंसक झड़प मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। इस घटना से जुड़े कुल 12 मुकदमों में से पुलिस ने सभी सात मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी है। अब तक 92 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। इनमें संभल के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और जामा मस्जिद के सदर ज़फर अली भी शामिल हैं, जिन पर कल ही चार्जशीट फाइल की गई है। पुलिस ने एक आरोपी सोहेल इकबाल को सबूत न मिलने के कारण बरी कर दिया है।
आज गुरूवार 19 जून 2025 को संभल एसपी केके बिश्नोई ने बताया कि सभी मामलों की सुनवाई जल्द से जल्द शुरू कर दोषियों को सजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा। इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया था, जिसमें एक डिप्टी एसपी, एक अतिरिक्त एसपी और एक अलग इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी को 12 मामलों में नियुक्त किया गया था। सांसद जियाउर्रहमान बर्क से भी 4-5 घंटे तक गहन पूछताछ की गई थी।
24 नवंबर 2024 को संभल में हुई थी हिंस झड़प
संभल में हुई हिंसा ने न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया था। 24 नवंबर 2024 की वो तारीख, जब संभल की गलियों में अराजकता और तनाव का माहौल बन गया था, आज भी लोगों के जेहन में ताजा है। इस हिंसक झड़प में कई लोग घायल हुए और सार्वजनिक संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचा। घटना के बाद से ही संभल पुलिस प्रशासन पर लगातार दबाव था कि वह दोषियों को जल्द से जल्द कानून के कटघरे में खड़ा करे। अब, जब चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, पीड़ितों को न्याय की उम्मीद जगने लगी है।
पुलिस अधीक्षक केके बिश्नोई ने इस मामले में पुलिस की तत्परता और निष्पक्ष जांच पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कुल 12 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से पुलिस ने 7 मामलों में खुद चार्जशीट दायर की है। यह दर्शाता है कि पुलिस ने बिना किसी दबाव के अपनी जांच को आगे बढ़ाया है। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि 92 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। ये गिरफ्तारियां इस बात का प्रमाण हैं कि पुलिस ने हिंसा में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं है।
आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संभल के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और जामा मस्जिद के सदर ज़फर अली पर भी चार्जशीट दाखिल की गई है। यह दर्शाता है कि कानून की नजर में कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, अपराध करने पर दंडित किया जाएगा। इन पर 335/2024 के तहत चार्जशीट लगाई गई है। इस कार्रवाई से यह संदेश गया है कि कानून का राज स्थापित रहेगा और किसी को भी हिंसा फैलाने या उकसाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
हालांकि, पुलिस ने एक आरोपी सोहेल इकबाल को बरी कर दिया है क्योंकि उसके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला। यह कदम पुलिस की निष्पक्षता को भी दर्शाता है कि वह केवल सबूतों के आधार पर कार्रवाई करती है, न कि किसी दबाव या पूर्वाग्रह के आधार पर। यह महत्वपूर्ण है कि निर्दोष को फंसाया न जाए और केवल वास्तविक अपराधियों को ही सजा मिले।
संभल एसपी बोले, जल्द से जल्द होगी सुनवाई
एसपी बिश्नोई ने यह भी बताया कि सभी मामलों की सुनवाई जल्द से जल्द शुरू की जाएगी और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि न्याय में देरी न हो और पीड़ितों को जल्द से जल्द राहत मिल सके। इस पूरी जांच प्रक्रिया में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया था, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया था। डिप्टी एसपी, अतिरिक्त एसपी और इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों को 12 अलग-अलग मामलों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिससे जांच में पारदर्शिता और गहराई सुनिश्चित हो सके।
सांसद जियाउर्रहमान बर्क से 4 से 5 घंटे तक गहन पूछताछ की गई थी, जो यह दर्शाता है कि पुलिस ने इस मामले को कितनी गंभीरता से लिया है। यह पूछताछ यह समझने के लिए महत्वपूर्ण थी कि इस हिंसा के पीछे के असली कारण क्या थे और इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे।
संभल दंगे सिर्फ एक स्थानीय घटना नहीं थी, बल्कि इसने समाज में अशांति फैलाने वालों को एक कड़ा संदेश दिया है। इस मामले में पुलिस की त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई ने जनता का विश्वास बहाल किया है।
अब देखना यह है कि न्यायालय इन मामलों में कितनी तेजी से और प्रभावी ढंग से निर्णय लेता है ताकि दोषियों को उनकी करतूतों का परिणाम भुगतना पड़े और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। यह मामला भारत की न्याय प्रणाली की ताकत को दर्शाता है कि कैसे कानून का शिकंजा कसने पर कोई भी नहीं बच सकता।
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