Advertisment

Sambhal में नदियों का पुनरुद्धार: सोत से महिष्मति तक, कैसे बदल रही है तस्वीर? जानें पूरी कहानी!

संभल में नदियों का पुनरुद्धार जारी! सोत नदी का सफल पुनरुद्धार, महावा, अरिल, वर्धमान नदियाँ मनरेगा से जीवित हो रहीं। महिष्मति नदी तीर्थ पर अध्ययन जारी। जिला प्रशासन का बड़ा अभियान, पर्यावरण, भूजल और संस्कृति को बचाएगा।

author-image
Ajit Kumar Pandey
संभल जिले 5 पवित्र नदियों का पुनरुद्धार कर रही जिला प्रशासन । डीएम राजेंद्र पेंसिया ने दी जानकारी | यंग भारत न्यूज

संभल जिले 5 पवित्र नदियों का पुनरुद्धार कर रही जिला प्रशासन । डीएम राजेंद्र पेंसिया ने दी जानकारी | यंग भारत न्यूज

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी सभ्यता का आधार मानी जाने वाली नदियां जब सूखने लगती हैं तो कितना बड़ा संकट खड़ा हो जाता है? यूपी के संभल जिले में भी कुछ ऐसा ही हो रहा था, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। जिला प्रशासन ने एक महत्वाकांक्षी अभियान छेड़ा है जिसके तहत जीवनदायिनी नदियों को नया जीवन दिया जा रहा है। 

Advertisment

संभल के जिला मजिस्ट्रेट, राजेंद्र पेंसिया ने हाल ही में बताया कि किस तरह सोत नदी का सफलतापूर्वक पुनरुद्धार किया जा चुका है और महावा, अरिल व वर्धमान नदियां भी मनरेगा के तहत अपने पुराने गौरव को वापस पा रही हैं। यह सिर्फ पानी की बात नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की बात है।

संभल की पहचान रहीं नदियां

संभल जिले की पहचान रही उसकी नदियां, जो कभी जीवन का संचार करती थीं, धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही थीं। प्रदूषण, अतिक्रमण और जलस्तर में गिरावट ने उन्हें बेजान बना दिया था। इस गंभीर चुनौती को देखते हुए, संभल जिला प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाया। जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि इस अभियान के तहत 5 प्रमुख नदियों की पहचान की गई है। इनमें से सोत नदी का पुनरुद्धार कार्य पूरा हो चुका है, जो एक बड़ी सफलता है। सोत नदी अब फिर से प्रवाहित होने लगी है, जिससे न केवल भूजल स्तर में सुधार हो रहा है, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को भी लाभ मिल रहा है।

Advertisment

महावा, अरिल और वर्धमान नदियां भी पुनरुद्धार की प्रक्रिया से गुजर रही हैं। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) जैसी योजनाओं का उपयोग करके, इन नदियों की सफाई, गहरीकरण और किनारों का सुदृढीकरण किया जा रहा है। यह कार्य न केवल नदियों को नया जीवन दे रहा है, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहा है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। यह एक ऐसा प्रयास है जहाँ पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण विकास साथ-साथ चल रहे हैं। 

कितना महत्वपूर्ण है संभल महिष्मति नदी तीर्थ

Advertisment

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। संभल में एक और महत्वपूर्ण नदी, महिष्मति नदी तीर्थ है, जो कुल 87 देव तीर्थों में से एक मानी जाती है। यह नदी नगर क्षेत्र में स्थित है और इसकी स्थिति का अध्ययन किया जा रहा है। जिला प्रशासन महिष्मति नदी के महत्व को समझता है और इसके पुनरुद्धार के लिए एक विस्तृत योजना पर काम कर रहा है। महिष्मति नदी का पुनरुद्धार न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत अधिक है। यह कार्य इस क्षेत्र की विरासत को सहेजने और उसे भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाने में मदद करेगा।

यह अभियान केवल नदियों में पानी भरने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सोच का हिस्सा है। नदियों का पुनरुद्धार भूजल रिचार्ज में मदद करेगा, जिससे कृषि और पीने के पानी की समस्या का समाधान होगा। जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि स्वस्थ नदियां विभिन्न प्रकार के पौधों और जीवों के लिए आवास प्रदान करती हैं। इसके अलावा, नदियों के किनारे हरियाली बढ़ने से स्थानीय जलवायु पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

यह प्रयास संभल के लोगों के लिए एक बड़ी उम्मीद है। जहां कभी सूखी या प्रदूषित नदियां मायूसी का कारण थीं, वहीं अब उनके पुनरुद्धार की खबर से उत्साह और खुशी का माहौल है। स्थानीय निवासी इस पहल का स्वागत कर रहे हैं और इसमें अपनी भागीदारी भी सुनिश्चित कर रहे हैं। स्वयं सहायता समूह और स्वयंसेवी संगठन भी इस कार्य में सहयोग कर रहे हैं, जो इस अभियान को एक जन आंदोलन का रूप दे रहा है।

Advertisment

जिला प्रशासन ने संभाला चुनौतीपूर्ण कार्य

यह समझना महत्वपूर्ण है कि नदियों का पुनरुद्धार एक सतत प्रक्रिया है। एक बार जब नदियां पुनर्जीवित हो जाती हैं, तो उनकी देखभाल और संरक्षण की जिम्मेदारी हम सभी की है। प्रदूषण को रोकना, अतिक्रमण से बचना और जल संरक्षण के उपायों को अपनाना बेहद आवश्यक है। जिला प्रशासन ने जिस तरह से इस चुनौती को स्वीकार किया है और उस पर काम कर रहा है, वह निश्चित रूप से सराहनीय है। संभल का यह मॉडल अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकता है, जहां नदियां अपनी पहचान खो रही हैं।

नदियों को जीवनदायिनी क्यों कहा जाता है, यह हम सब जानते हैं। वे सिर्फ पानी का स्रोत नहीं, बल्कि सभ्यता और संस्कृति की वाहक होती हैं। संभल में चल रहा यह अभियान हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाना कितना महत्वपूर्ण है। जब हम अपनी नदियों का ध्यान रखते हैं, तो वे बदले में हमें और हमारी आने वाली पीढ़ियों को जीवन देती हैं।

क्या आप इस बदलाव से सहमत हैं? क्या आपको लगता है कि नदियों का पुनरुद्धार हमारे भविष्य के लिए जरूरी है? इस महत्वपूर्ण पहल पर आपके क्या विचार हैं? कमेंट करके हमें जरूर बताएं।

sambhal | sambhal news |

sambhal sambhal news
Advertisment
Advertisment