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UP News : संभल की नदियों को मिली नई जिंदगी, 5 नदियां लौट रहीं धारा में

संभल में 5 नदियों—सोत, महावा, अरिल, वर्धमान और महिष्मति—का पुनरुद्धार हो रहा है। सोत नदी पूरी तरह पुनर्जीवित हो चुकी है। पौधरोपण और अतिक्रमण हटाने से जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है।

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Ajit Kumar Pandey
Sambhal News : नदियों को मिली नई जिंदगी, 5 नदियां लौट रहीं धारा में यंग भारत न्यूज

Sambhal News : नदियों को मिली नई जिंदगी, 5 नदियां लौट रहीं धारा में यंग भारत न्यूज

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पांच मृतप्राय नदियां अब फिर से जीवन की ओर लौट रही हैं। जिलाधिकारी की पहल पर नदियों को अतिक्रमण से मुक्त कर, जल स्तर बढ़ाने और तटों पर पौधरोपण का काम तेजी से जारी है। सोत नदी का कायाकल्प इसका पहला प्रमाण है। आज शुक्रवार 20 जून 2025 को डीएम राजेंद्र पेंसिया महत्पूर्ण जानकारी सोशल मीडिया साइट एक्स पर साझा की।  

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संभल में नदियों का पुनरुद्धार: फिर से बह रही हैं सूख चुकी धाराएं

उत्तर प्रदेश का संभल जिला अब सिर्फ ऐतिहासिक या सांस्कृतिक पहचान से नहीं, बल्कि पर्यावरणीय बदलाव की मिसाल से भी जाना जा रहा है। यहां पांच नदियों—सोत, महावा, अरिल, वर्धमान और महिष्मति—को फिर से ज़िंदा करने का काम ज़ोरों पर है। डीएम राजेंद्र पेंसिया की अगुवाई में चल रही यह मुहिम न सिर्फ प्रशासनिक संकल्प को दर्शाती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक पर्यावरणीय उपहार भी है।

सोत नदी की सफलता बनी प्रेरणा

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साल 2024 में सोत नदी को पूरी तरह पुनर्जीवित किया गया था। वर्षों से गंदगी और अतिक्रमण से घिरी यह नदी अब साफ बहाव के साथ क्षेत्रवासियों के जीवन में खुशहाली लाने लगी है। नदी के किनारे 10,600 बांस के पौधे लगाए गए, जिससे जलस्तर में भी स्पष्ट बढ़ोतरी देखी गई।

सोत नदी की इस सफलता ने बाकी नदियों—महावा, अरिल, वर्धमान और महिष्मति—के लिए रास्ता खोल दिया।

कैसे हो रहा है काम?

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अतिक्रमण हटाना: लगभग सभी नदियों से अवैध कब्जा हटा दिया गया है। इससे नदी की प्राकृतिक धारा बहाल हो रही है।

पौधरोपण: सोत नदी की तरह ही बाकी नदियों के किनारे भी इस साल बांस और अन्य स्थानीय वृक्षों का रोपण होगा, ताकि तटबंध मज़बूत बने रहें और अतिक्रमण की संभावना खत्म हो।

स्थानीय सहभागिता: ग्रामीणों को जागरूक कर इस अभियान से जोड़ा गया है। इससे नदी को लेकर समाज में संवेदना और संरक्षण की भावना बढ़ी है।

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क्या है इस मुहिम का बड़ा असर?

जलस्तर में वृद्धि: सोत नदी का उदाहरण बताता है कि सिर्फ सफाई नहीं, हरियाली और संरक्षण भी ज़रूरी है।

कृषि को लाभ: इन नदियों के पुनर्जीवन से खेतों तक सिंचाई आसान हो रही है। किसानों को अब भूमिगत जल पर निर्भर नहीं रहना पड़ रहा।

पारिस्थितिकी सुधार: जलजीवों की वापसी, परिंदों की चहचहाहट और ताजगीभरी हवा—ये सब मिलकर एक नया संभल बना रहे हैं।

बांस के पौधों की खास भूमिका

बांस का चयन सिर्फ सजावट के लिए नहीं हुआ। ये पौधे:

  • मिट्टी को पकड़ कर तटबंधों को मज़बूती देते हैं
  • जल को सोखकर प्राकृतिक पुनर्भरण में मदद करते हैं
  • तेज़ी से बढ़ने वाले और स्थानीय पर्यावरण के अनुकूल होते हैं

डीएम की सोच बनी क्रांति का कारण

राजेंद्र पेंसिया ने खुद इन नदियों का सर्वेक्षण किया, फील्ड अधिकारियों को हर सप्ताह फॉलोअप की जिम्मेदारी दी और साथ ही इस परियोजना को जनता के साथ जोड़ दिया। उनके अनुसार, "यह सिर्फ सरकारी योजना नहीं, समाज की चेतना का विस्तार है।"

क्या आपके इलाके की कोई नदी भी मर रही है? क्या इस तरह की मुहिम वहां भी चलाई जानी चाहिए? नीचे कमेंट करके अपनी राय जरूर दीजिए और खबर को शेयर कर इस मुहिम को और ताकत दीजिए।

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