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यूपीएससी में कानपुर से आशुतोष, सुयश, प्रथम और अक्षिता ने भी सफलता के झंडे गाड़े हैं। Photograph: (वाईबीएन)
कानपुर, वाईबीएन संवाददाता (Kanpur News)
यूपीएसी की सिविल सेवा परीक्षा 2024 में कानपुर शहर के दिव्यांक गुप्ता और चौबेपुर आशुतोष शुक्ला, भीतरगांव के सुयश समेत आसपास के जिले से कानपुर देहात रूरा की अक्षिता त्रिवेदी, उन्नाव शुक्लागंज के सक्षम भाटिया ने शानदार प्रदर्शन करके क्षेत्र का नाम रोशन किया है। उनकी उपलब्धि पर परिजनों की आंखों में गर्व और खुशी के आंसू छलक रहे थे, वहीं गांव और क्षेत्र में खुशी का माहौल बना है और हर कोई बधाई दे रहा है। दिव्यांक ने 21वीं, सक्षम ने 83वीं, आशुतोष ने 248वीं, अक्षिता ने 394वीं, सुयश ने 468वीं और प्रथम रत्नाकर ने 872वीं रैंक हासिल की है। मयंक के पिता प्रभात त्रिपाठी कलेक्ट्रेट में लिपिक हैं, वहीं दिव्यांक आइआइटी कानपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं और इस समय हैदराबाद की राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में आईपीएस की ट्रेनिंग कर रहे हैं।
आईआईटी से इंजीनियर और अंडर ट्रेनिंग आईपीएस हैं दिव्यांक
यूपीएससी में 21वीं रैंक पाने वाले कानपुर कारवालो नगर के निवासी दिव्यांक गुप्ता इन दिनों हैदराबाद की राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में ट्रेनिंग कर रहे हैं। दिव्यांक ने कौशलपुरी के सनातन धर्म एजुकेशन सेंटर से इंटरमीडिएट तक शिक्षा पूरी की। पिता दिनेश चंद्र गुप्ता किराना व्यवसायी हैं और मां शशि गुप्ता गृहणी हैं। बड़े भाई सुधीर बताते हैं कि दिव्यांक ने आईआईटी कानपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है, पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी। दिव्यांक का आइएएस बनने का लक्ष्य था। 2022 में आईपीएस कैडर मिला लेकिन लक्ष्य नहीं छोड़ा। दिव्यांक ने इंजीनियरिंग का कोर्स भी साढ़े तीन साल के अंदर समाप्त कर लिया था और बाकी छह महीने उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी के लिए निकाला। पांचवीं बार के प्रयास में उन्हें आखिर अपना लक्ष्य मिल गया। ।
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मुश्किलों के दौर से गुजरे सक्षम
मूलरूप से रामपुर के रहने वाले सक्षम भाटिया ने उन्नाव के शुक्लागंज में रहकर कानपुर के बीएनडी कालेज से बीएससी की पढ़ाई की और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की। इन दिनों जेएनयू से अंतरराष्ट्रीय संबंध में पीएचडी कर रहे हैं। अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी में सफलता हासिल करने वाले सक्षम ने बताया कि उत्कर्ष अकादमी से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की है। वर्ष 2007 में पिता का निधन के बाद जीवन में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मां गीता भाटिया ने लाइब्रेरियन की नौकरी करके उन्हें पढ़ाया। वह बताते हैं कि कक्षा 11 में पढ़ने के दौरान आइएएस अधिकारी बनने का सपना देखा था, जो आज पूरा हो गया। इससे पहले दो बार असफलता भी मिली, लेकिन भ्रमित नहीं हुए। समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का नियमित पाठन करते रहे हैं। इससे दुनिया की समस्याओं के बारे में जानकारी मिलती है। शहर की उत्कर्ष अकादमी के निर्देशक डा. प्रदीप दीक्षित ने बताया कि सक्षम भाटिया ने पूरी तैयारी संस्थान के शिक्षकों की देखरेख में की है।
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कैंसर पीड़ित किसान पिता का सपना किया पूरा
268वीं रैंक हासिल करने वाले आशुतोष चौबेपुर के भौसाना गांव निवासी किसान राजीव मोहन के बेटे हैं। राजीव मोहन शुक्ल उर्फ पंकज छह बीघा खेत से परिवार चलाते हैं और बीते चार वर्षों से कैंसर से पीड़ित हैं। वह बताते हैं कि बेटा आशुतोष पांचवीं तक गांव में ही भैयालाल के छप्पर वाले स्कूल पढ़ा है। इसके बाद कल्याणपुर इंदिरानगर स्थित सरस्वती ज्ञान मंदिर से उसने 2014 में 10वीं 96 प्रतिशत अंक और 2016 में 12वीं 99 प्रतिशंत अंकों से पास की। बाद में आशुतोष ने सीएसजेएमयू से केमेस्ट्री में स्नातक और दिल्ली के हिंदू काॅलेज से केमिस्ट्री ऑनर्स किया। आशुतोष ने अपनी सफलता का श्रेय मां-पिता काे दिया, वह कहते हैं कि पिता की इच्छा थी कि वह बड़े अधिकारी बने। मां मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित करती थीं और मैं नियमित रोजाना आठ से नाै घंटे पढ़ता था। पिता को कैंसर होने के बाद आर्थिक और पारिवारिक समस्याएं सामने आईं लेकिन इश्वर ने साथ दिया और चाैथी बार में सफलता मिल गई। उनका छोटा भाई आदित्य और बहन आन्या है। मां सुधा कहती हैं कि हमाओ लल्ला पढ़ने मा तो शुरू ते हुसियार हतो। वह दोस्तन संघे दिल्ली चलाे गयो और पिता के सपन पूरा कर दियो। आशुतोष ने दिल्ली में पढ़ाई करके यूपीएससी की भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा में सफलता पाई।
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प्रथम को प्रथम बार में सफलता
यूपीएससी में 872 वीं रैंक हासिल करने वाले प्रथम रत्नाकर कहते हैं कि मेरे माता-पिता का सपना था कि सर्वश्रेष्ठ प्रशासनिक सेवा का हिस्सा बनूं। इंटर की पढ़ाई के समय सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। पहली बार में सफलता मिलने से पूरा परिवार उत्साहित है, अब पुलिस या राजस्व सेवा को ज्वाइन करेंगे। बजरिया थाने के पास कर्नलगंज के पास रहने वाले प्रथम ने अशोक नगर के एनएलके इंटरमीडिएट कालेज से 90 फीसदी अंकों के साथ हाईस्कूल और 2021 में 86 फीसदी अंकों के साथ इंटर पास किया। डीएवी कालेज से समाजशास्त्र, राजनिति शास्त्र और इतिहास में स्नातक पिछले साल पूरा किया है। उनके पिता सदाशिवम सीओडी में ट्रेडसमैन थे और मां विमल कुमारी गृहिणी हैं। बड़े भाई आर्यन सोनकर लेखपाल के पद पर तैनात हैं। 22 साल में ही यूपीएससी में सफलता पाने से पूरा परिवार उत्साहित है। वह कहते हैं कि समय प्रबंधन के लिए दो-दो घंटे का विषयवार शेड्यूल बनाया था। प्रारंभिक परीक्षा के लिए माक टेस्ट किए और लिखित परीक्षा में विस्तृत अध्ययन पर जोर दिया।
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पूर्व सांसद के पौत्र ने गाड़े सफलता के झंडे
पहले प्रयास में 468वीं रैंक हासिल करने वाले सुयश की सफलता से कानपुर के भीतरगांव ब्लॉक के गांव ढुकुवापुर (कुड़नी) में जश्न का माहौल है। गांव में उनके बाबा पूर्व सांसद दिवंगत ज्वाला प्रसाद कुरील की अलग पहचान रही है। सुयश के पिता जितेंद्र कुमार भारतीय जीवन बीमा निगम कानपुर में मंडल प्रबंधक हैं और मां सीमा देवी गृहणी हैं। ढुकुवापुर में उनके परिवार का आना-जाना लगा रहता है। सुयश के बड़े भाई अनुभव राजर्षि ने 2023 में यूपीपीसीएस क्रैक किया था। वर्तमान में वह मुरादाबाद में प्रशिक्षु डिप्टी एसपी हैं। सुयश उन्हें अपना रोल मॉडल मानते हैं। कहते हैं कि सफलता के पीछे माता-पिता के साथ बड़े भाई का पूरा हाथ है। सुयश ने आईआईटी बीएचयू से 2023 में बीटेक पास किया हैं। उन्होंने गुरु हरराय अकादमी से 2016 में 94 प्रतिशत अंकों के साथ हाईस्कूल तथा 2018 में 93.5 फीसदी अंकों के साथ इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी।
उन्होंने बताया कि परीक्षा में सफलता पाने के लिए रोजाना आठ से दस घंटे पढ़ाई की। विषय को समझने के लिए उनके नोट्स तैयार किए। कुछ ऐसे मौके भी आए, जब उन्हें कुछ टॉपिक्स को समझने में कठिनाई आई। उस मौके पर भाई ने पूरी मदद की। पुराने प्रश्न पत्रों को हल करा तो प्रश्नों के पूछे जाने का तरीका समझ में आया। बोले, परीक्षा में सफल होने के लिए हमें पता होना चाहिए कि क्या पढ़ना और कितना पढ़ना है। कुछ अन्य लोगों ने भी टॉपिक्स को समझने में महत्वपूर्ण मदद की।
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वकील की बेटी ने हासिल की 394वीं रैंक
कानपुर देहात के कस्बा रूरा में पालीवाल नगर निवासी अक्षिता त्रिवेदी ने संघ लोक सेवा आयोग 2024 की परीक्षा में 394 वीं रैंक हासिल कर क्षेत्र का मान बढ़ा दिया है। अक्षिता त्रिवेदी के पिता प्रदीप त्रिवेदी जिला एवं सत्र न्यायालय माती में एडवोकेट हैं, जबकि माता आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। पिता प्रदीप त्रिवेदी ने बताया कि अक्षिता का बचपन से ही सपना था कि वह IAS या IPS अधिकारी बने और देश की सेवा करे। आज उसका सपना साकार हुआ है। अक्षिता ने केंद्रीय विद्यालय माती इंटरमीडिएट किया। फिर झांसी से बीटेक किया। अधिकांश घर में रहकर पढ़ाई की। कुछ समय के लिए दिल्ली जाकर यूपीएससी की तैयारी की। भाई अभिनव त्रिवेदी ने बताया कि इलाहाबाद में एडवोकेट हैं। कहाकि बहन की ये सफलता उसके संघर्ष, मेहनत और पूरे परिवार के आशीर्वाद का नतीजा है। उन्होंने कहा यह हम सबके लिए गर्व का क्षण है। बहन ने पूरे परिवार और रूरा कस्बे का नाम रोशन किया है। माता ने भावुक होते हुए कहा,बेटी ने सच में बेटा से बढ़कर साबित किया है। आज पूरे इलाके से बधाइयों के संदेश आ रहे हैं। अक्षिता त्रिवेदी की इस शानदार सफलता से न सिर्फ उनका परिवार बल्कि पूरा क्षेत्र गर्व महसूस कर रहा है।