लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
यूपी विधानसभा में शुक्रवार को प्राविधिक शिक्षा विभाग में कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा जोरशोर से उठा। सिराथू से सपा विधायक और अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल ने इस मामले में सरकार पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार में आकंठ में डूबी हुई है। भाजपा को अपनी भ्रष्टाचार विरोधी नीति स्पष्ट करनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मंत्रिमंडल में भ्रष्टाचार का दीमक लगा हुआ है। उनका इशारा प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री आशीष पटेल की ओर था। पल्लवी पटेल पहले भी इस मुद्दे पर मुखर रही हैं। वह लंबे समय से अपने जीजा आशीष पटेल के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
सवाल पूछने पर नेता सदन को आ जाता है गुस्सा
पल्लवी पटेल ने कहा कि प्राविधिक शिक्षा विभाग में हुए भ्रष्टाचार के साक्ष्य दिए गए। खुद विभाग के कर्मचारी इसकी गवाही दे रहे हैं। लेकिन सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। सवाल पूछने पर नेता सदन (सीएम योगी आदित्यनाथ) गुस्सा हो जायेंगे। उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए आगे कहा कि आप धार्मिक स्थलों के नाम पर धनराशि वितरित कर रहे हैं। लेकिन भगवान महावीर के 24 तीर्थंकरों के मंदिरों, बुद्ध विहारों, गुरु नानक देव के किसी गुरुद्वारे या संत कबीर की किसी बैठकी के लिए कोई अनुदान नहीं दिया। इतना भेदभाव क्यों? आप ही कहते हैं 'बटेंगे तो कटेंगे'। बांटने का काम तो आप ही कर रहे हैं।
महाकुंभ के सफल आयोजन में सरकार विफल
सपा विधायक ने कहा कि महाकुंभ के सफल आयोजन में सरकार पूरी तरह विफल रही। समापन के बाद गंगा में बढ़े प्रदूषण को दूर करना बेहद जरूरी है। दुर्भाग्य की बात है कि हम मां गंगा को आज इस भयावह स्थिति में देख रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 2014 से 2024 तक नमामि गंगे योजना के नाम पर गंगा सफाई के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए। लेकिन इसका कोई असर नहीं दिखा। इसके बजाय प्राकृतिक अल्केमिस्ट अनुपात को भी बिगाड़ दिया गया। जिससे गंगा की शुद्धता और अधिक प्रभावित हुई। उन्होंने कहा कि गंगा के प्रति ईमानदारी दिखाइए और इसे उसके मूल स्वरूप में वापस लाइए। जिस गंगा जल को आचमन किया जाता था। आज उसकी हालत यह हो गई है कि उसमें हाथ डालना भी हानिकारक हो गया है।
किसान बीज और डीएपी की किल्लत से परेशान
पल्ल्वी पटेल ने कहा कि यूपी की दो-तिहाई से अधिक आबादी खेती पर निर्भर है। लेकिन आज वही किसान बीज और डीएपी की किल्लत, आवारा पशुओं के आतंक और बढ़ते कर्ज के बोझ से परेशान है। किसानों की हालत इतनी खराब हो गई है कि वे खेती छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। यहां तक कि आत्महत्या तक करने की नौबत आ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि किसानों की सुरक्षा और उनके भविष्य को लेकर सरकार की नीति क्या है। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षक भर्ती का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश में युवाओं की स्थिति भी किसी से छुपी नहीं है। पिछड़ा आयोग की सिफारिशों के बावजूद 69 हजार शिक्षक भर्ती में 6800 छात्र-छात्राओं के साथ अन्याय हुआ। लेकिन सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया।
हर वर्ग सरकार की नीतियों से असंतुष्ट
सपा विधायक ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है और सरकार 27 हजार परिषदीय स्कूलों को बंद करने जा रही है। जबकि प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोत्तरी पर कोई नियंत्रण नहीं है। इस सवालों के जवाब में सरकार जिम्मेदारी लेने के बजाय पिछली सरकारों पर दोष मढ़ती है। बिजली महंगी होने, महंगाई और बेरोजगारी के सवाल उठाने पर सिर्फ बहाने मिलते हैं। आज गरीब, युवा, किसान और महिलाएं सभी सरकार की नीतियों से असंतुष्ट हैं। सत्ता की राजनीति में उलझी सरकार इसे गंभीरता से लेने को तैयार नहीं है।